
SSC/UPSC व अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए मुख्य बिंदु
- अंबुबाची मेला हर साल असम के गुवाहाटी स्थित कामाख्या मंदिर में मनाया जाता है।
- यह मेला असमिया माह ‘आहार’ (जून) में, मानसून के आगमन के समय होता है।
- इस दौरान देवी कामाख्या के मासिक धर्म की मान्यता होती है, जिसे पवित्रता और सृजन का प्रतीक माना जाता है।
- मंदिर तीन दिन के लिए बंद रहता है, चौथे दिन विधिपूर्वक खुलता है।
- श्रद्धालुओं को ‘अंगोदक’ (पवित्र जल) और ‘अंगवस्त्र’ (लाल कपड़ा) प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
- असम सरकार ने 2025 में ₹4.55 करोड़ की व्यवस्था की।
- यह उत्सव प्राकृतिक चक्र, स्त्री-शक्ति और प्रजनन ऊर्जा का सम्मान करता है।
- हर साल लगभग 7–8 लाख श्रद्धालु भाग लेते हैं।
असम के बारे में (परीक्षा के लिए उपयोगी जानकारी)
- राजधानी: दिसपुर
- मुख्यमंत्री (2025): हिमंत बिस्वा सरमा
- मुख्य नदियाँ: ब्रह्मपुत्र, बराक
- मुख्य राष्ट्रीय उद्यान: काजीरंगा, मानस, ओरांग, नामेरी
- प्रसिद्ध मंदिर: कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी
अंबुबाची मेला: एक संपूर्ण परिचय
अंबुबाची मेला क्या है?
अंबुबाची मेला भारत का एक अनोखा धार्मिक उत्सव है जो गुवाहाटी के नीलाचल पर्वत स्थित कामाख्या मंदिर में आयोजित होता है। ‘अंबुबाची’ शब्द का अर्थ है ‘जल का प्रवाह’, जो मानसून की वर्षा और देवी के मासिक धर्म दोनों का प्रतीक है। मान्यता है कि मां धरती का भी मासिक धर्म होता है, जिसे देवी कामाख्या के माध्यम से दर्शाया जाता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
यहाँ कोई मूर्ति की पूजा नहीं होती, बल्कि योनि-आकार की चट्टान की पूजा होती है, जिससे प्राकृतिक झरना निकलता है।
इस दौरान:
- मंदिर तीन दिन के लिए बंद रहता है।
- खेतों में कृषि कार्यों पर रोक रहती है।
- चौथे दिन मंदिर खुलता है और विशेष स्नान व पूजा होती है।
- प्रसाद के रूप में:
- अंगोदक (पवित्र जल) – प्रजनन शक्ति का प्रतीक
- अंगवस्त्र (लाल वस्त्र) – रक्षात्मक तावीज़ के रूप में उपयोग किया जाता है
यह उत्सव मासिक धर्म को पवित्र और शक्ति का प्रतीक मानकर सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ता है।
सरकारी प्रबंध और श्रद्धालुओं की भीड़
2025 में, असम सरकार ने ₹4.55 करोड़ की राशि से व्यवस्थाएँ कीं:
- दो बड़े शिविर, पीने का पानी, स्नानघर, मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था।
- चिकित्सा कैंप, यातायात नियंत्रण, और सुरक्षा प्रबंध।
- इस वर्ष लगभग 8 लाख श्रद्धालुओं की उपस्थिति अनुमानित थी।
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता रही।
कामाख्या मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
- कामाख्या मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ सती का गर्भाशय गिरा था।
- यहाँ कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि प्राकृतिक झरने के साथ योनि-आकार की चट्टान की पूजा होती है।
- इसे 1565 ई. में कोच वंश द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था।
- यह मंदिर तांत्रिक शक्तिवाद का केंद्र है और पूरे विश्व से साधु व तांत्रिक यहाँ आते हैं।
परीक्षा उपयोगी बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
राज्य और मंदिर से जुड़े प्रश्न
- अंबुबाची मेला कहाँ आयोजित होता है?
A) केदारनाथ
B) मीनाक्षी मंदिर
C) कामाख्या मंदिर
D) जगन्नाथ मंदिर - अंबुबाची मेला किसका प्रतीक है?
A) फसल कटाई
B) राक्षस वध
C) देवी का मासिक धर्म
D) भगवान शिव का विवाह - अंगोदक क्या है?
A) मंदिर का प्रसाद
B) देवी का झरने का पवित्र जल
C) लाल सिंदूर
D) दीपक में उपयोगी तेल - कामाख्या मंदिर किस पहाड़ी पर स्थित है?
A) त्रिकुटा
B) नीलाचल
C) विंध्याचल
D) अरावली - निम्नलिखित में से कौन-सा राष्ट्रीय उद्यान असम में स्थित है?
A) रणथंभौर
B) बांदीपुर
C) काजीरंगा
D) गिर
UPSC-स्टाइल FAQs (उत्तर लेखन फॉर्मेट में)
Q1. अंबुबाची मेला का सांस्कृतिक महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अंबुबाची मेला देवी कामाख्या के मासिक धर्म को सम्मान देने वाला उत्सव है, जो स्त्री-शक्ति, प्रकृति की प्रजनन शक्ति और शरीर की जैविक प्रक्रियाओं का गौरव करता है। यह मेला मासिक धर्म को वर्जना नहीं, बल्कि पवित्रता का प्रतीक मानता है। यह सामाजिक सोच में बदलाव लाने का एक सशक्त उदाहरण है और महिलाओं की जैविक प्रक्रियाओं को गरिमा प्रदान करता है।
Q2. अंबुबाची मेला के दौरान सरकारी प्रबंधन का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
असम सरकार ने भीड़ प्रबंधन, स्वच्छता, चिकित्सा सेवा और यातायात व्यवस्था के लिए ₹4.55 करोड़ खर्च किए। श्रद्धालुओं के लिए दो शिविर, जल-स्नान व्यवस्था, और चिकित्सा सुविधा दी गई। यह राज्य सरकार की धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति का हिस्सा है। हालांकि, व्यापारियों के लिए डिजिटल सुविधा की कमी और भीड़ नियंत्रण अब भी चुनौतियाँ हैं।
Q3. अंबुबाची मेला भारतीय समाज में मासिक धर्म से जुड़ी मान्यताओं को कैसे बदलता है?
उत्तर:
यह मेला मासिक धर्म को दिव्यता से जोड़ता है। यह न केवल जैविक प्रक्रिया को स्वीकार करता है बल्कि इसे पूजनीय और सृजनशील मानता है। ऐसे उत्सव समाज में मासिक धर्म को लेकर सकारात्मक नजरिया बनाते हैं और वर्जनाओं को तोड़ते हैं, जो भारतीय समाज की लैंगिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
Q4. कामाख्या मंदिर तांत्रिक परंपरा में क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
कामाख्या मंदिर को तांत्रिक शक्तिवाद का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है जहाँ योनि-आकार की चट्टान की पूजा होती है। यह मंदिर शक्ति के सृजन और ऊर्जा स्वरूप की पूजा को महत्व देता है। तांत्रिक साधक, अघोरी, और साधु इस मंदिर में गहन साधना के लिए आते हैं।
निष्कर्ष
अंबुबाची मेला केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि स्त्रीत्व, प्रजनन और प्रकृति की सृजनात्मक शक्ति का एक जीवंत उदाहरण है। यह उत्सव धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से इतना गहरा है कि यह न केवल श्रद्धालुओं को जोड़ता है, बल्कि परीक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।