SSC/UPSC व अन्य परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • ईरानी संसद IAEA से सहयोग खत्म करने वाला बिल ला रही है।
  • अमेरिका और इज़राइल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमलों के बाद यह कदम उठाया गया है।
  • ईरान ने IAEA पर पक्षपात और सुरक्षा में विफलता का आरोप लगाया है।
  • IAEA ने वियना में आपात बैठक बुलाई।
  • पूर्व IAEA प्रमुख मोहम्मद अलबरदेई ने 2003 के इराक युद्ध से तुलना की।
  • ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 487 का हवाला दिया।
  • IAEA के मौजूदा प्रमुख राफेल ग्रोसी ने परमाणु खतरे की चेतावनी दी।

ईरान परमाणु ठिकानों पर हमलों के बाद IAEA से सहयोग समाप्त करने पर विचार कर रहा है

IAEA से रिश्ते खत्म करने पर क्यों विचार कर रहा है ईरान?

23 जून 2025 को ईरानी संसद (मजलिस) के अध्यक्ष मोहम्मद बाकर कालिबाफ ने घोषणा की कि IAEA से सहयोग समाप्त करने वाला एक विधेयक संसद में विचाराधीन है। यह कदम अमेरिका और इज़राइल द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हमलों के बाद उठाया गया है।

कालिबाफ ने कहा कि यह बिल IAEA की निष्पक्षता और व्यावसायिकता की “वास्तविक गारंटी” मांगने के लिए है। उन्होंने आरोप लगाया कि IAEA ने अपने दायित्वों को पूरा नहीं किया और वह एक “राजनीतिक उपकरण” बन गया है।


इस निर्णय के पीछे की पृष्ठभूमि

अमेरिका और इज़राइल के हमलों ने बढ़ाया तनाव

19 जून 2025 को इज़राइल ने ईरान के अराक भारी जल रिएक्टर पर हमला किया। इसके बाद 22 जून को अमेरिका ने फोर्दो, नतान्ज और इस्फहान स्थलों पर हमले किए। IAEA ने कहा कि इन हमलों से रेडियोधर्मी पदार्थ का कोई रिसाव नहीं हुआ, लेकिन ईरान का गुस्सा भड़क गया।

UNSC प्रस्ताव 487 का हवाला

ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने IAEA की भूमिका पर सवाल उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 487 को लागू करने की मांग की, जो परमाणु स्थलों पर सैन्य हमलों को प्रतिबंधित करता है।


IAEA की प्रतिक्रिया और वैश्विक प्रतिक्रियाएं

IAEA के प्रमुख राफेल ग्रोसी ने वियना में बुलाई गई आपात बैठक में कहा कि यह वैश्विक परमाणु संकट का समय है और दुनिया को कूटनीति के रास्ते पर लौटना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समाधान न निकला तो परमाणु अप्रसार प्रणाली ढह सकती है।

पूर्व IAEA प्रमुख मोहम्मद अलबरदेई ने इन हमलों की निंदा की और इन्हें 2003 के इराक युद्ध जैसा बताया। उन्होंने कहा कि उनकी रिपोर्ट में भी स्पष्ट था कि ईरान के पास परमाणु हथियार बनाने के कोई सबूत नहीं थे।


महत्वपूर्ण संगठन और प्रस्ताव

IAEA (अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी)

  • मुख्यालय: वियना, ऑस्ट्रिया
  • स्थापना: 1957
  • मातृ संगठन: संयुक्त राष्ट्र
  • कार्य: परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना

UNSC प्रस्ताव 487 (1981)

  • इराक के ओसिराक रिएक्टर पर इज़राइल के हमले की निंदा
  • IAEA निगरानी प्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित करना

इस्लामिक कंसल्टेटिव असेंबली (मजलिस)

  • ईरान की एकसदनीय संसद
  • कुल सदस्य: 290
  • अध्यक्ष: मोहम्मद बाकर कालिबाफ

MCQs (बहुविकल्पीय प्रश्न)

Q1. ईरान की संसद में लाए गए बिल का उद्देश्य क्या है?
A. यूरेनियम संवर्धन बढ़ाना
B. IAEA से सहयोग समाप्त करना
C. संयुक्त राष्ट्र से बाहर निकलना
D. परमाणु हथियार बनाना
उत्तर: B

Q2. 19 जून 2025 को इज़राइल ने किस परमाणु स्थल पर हमला किया?
A. नतान्ज
B. अराक भारी जल रिएक्टर
C. इस्फहान
D. फोर्दो
उत्तर: B

Q3. ईरान ने किस संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव का हवाला दिया?
A. 2231
B. 1540
C. 487
D. 1325
उत्तर: C

Q4. वर्तमान में IAEA के महानिदेशक कौन हैं?
A. मोहम्मद अलबरदेई
B. राफेल ग्रोसी
C. युकिया अमानो
D. सैयद अराघची
उत्तर: B

Q5. IAEA का मुख्यालय कहां स्थित है?
A. जेनेवा
B. न्यूयॉर्क
C. पेरिस
D. वियना
उत्तर: D


UPSC-शैली के FAQs (मॉडल उत्तर सहित)

Q1. IAEA से ईरान के सहयोग समाप्त करने के क्या वैश्विक प्रभाव हो सकते हैं?

उत्तर (UPSC उत्तर लेखन प्रारूप में):
ईरान द्वारा IAEA से सहयोग समाप्त करना वैश्विक परमाणु कूटनीति पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इससे ईरान की परमाणु गतिविधियों की पारदर्शिता में कमी आएगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अविश्वास बढ़ेगा। यह कदम IAEA की वैधता और प्राधिकरण को भी कमजोर करेगा। इसके परिणामस्वरूप पश्चिम एशिया में अस्थिरता बढ़ सकती है और परमाणु हथियारों की होड़ को बढ़ावा मिल सकता है।


Q2. UNSC प्रस्ताव 487 ईरान के दावे का समर्थन कैसे करता है?

उत्तर (UPSC उत्तर लेखन प्रारूप में):
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 487 (1981) इराक के ओसिराक रिएक्टर पर इज़राइल के हमले की निंदा करता है और यह स्पष्ट करता है कि किसी देश की परमाणु सुविधा पर हमला IAEA की संपूर्ण निगरानी प्रणाली पर हमला माना जाएगा। ईरान इस प्रस्ताव का हवाला देकर कहता है कि उसके परमाणु स्थलों पर हमले अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन हैं।


Q3. जून 2025 में IAEA की आपात बैठक क्यों बुलाई गई और क्या परिणाम निकले?

उत्तर (UPSC उत्तर लेखन प्रारूप में):
IAEA ने जून 2025 में अमेरिका और इज़राइल द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हमलों के कारण आपात बैठक बुलाई। बैठक में IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी ने स्थिति की गंभीरता बताई और कूटनीति के रास्ते को अपनाने की अपील की। उन्होंने परमाणु दुर्घटना की संभावना से आगाह किया। हालांकि कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, लेकिन बैठक ने अंतरराष्ट्रीय चिंता को उजागर किया।


Q4. हालिया आलोचनाओं के आलोक में IAEA की भूमिका का मूल्यांकन करें।

उत्तर (UPSC उत्तर लेखन प्रारूप में):
IAEA दशकों से परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण संस्थान रहा है। लेकिन हालिया घटनाओं में इसके राजनीतिकरण के आरोप लगे हैं, विशेष रूप से ईरान जैसे संवेदनशील मामलों में। IAEA की तकनीकी क्षमता तो है, लेकिन उसके पास स्वतंत्र प्रवर्तन शक्तियां नहीं हैं। संगठन को अपनी निष्पक्षता, पारदर्शिता और सभी देशों के लिए समान मानदंड सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि उसकी वैधता बनी रहे।