
SSC, UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- पाया गया प्रजाति: यूरेशियन ऊदबिलाव (Lutra lutra), स्थानीय नाम वुद्दर।
- स्थान: श्रीगुफवाड़ा, बिजबेहड़ा, दक्षिण कश्मीर में लिद्दर नदी की सहायक धारा।
- IUCN स्थिति: निकट संकटग्रस्त (Near Threatened)।
- महत्व: स्वच्छ जल और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का सूचक; कीस्टोन प्रजाति।
- अन्य जगहों पर दिखने के प्रमाण: चिनाब नदी, शोपियां की रामबियारा धारा, गुरेज घाटी (बांदीपोरा)।
- खतरे: आवास हानि, जल प्रदूषण, शिकार, आर्द्रभूमि का विनाश।
- भारत में उपस्थिति: पश्चिमी घाट, हिमालय की तलहटी, गोवा, पूर्वोत्तर भारत, चंबल नदी क्षेत्र।
विस्तृत विवरण
H1: कश्मीर में दिखा यूरेशियन ऊदबिलाव: एक दुर्लभ संरक्षण सफलता
करीब 30 वर्षों बाद कश्मीर में यूरेशियन ऊदबिलाव (Lutra lutra) को देखा जाना भारतीय वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह कीस्टोन प्रजाति श्रीगुफवाड़ा, बिजबेहड़ा में लिद्दर नदी की एक सहायक धारा में पाई गई। इसकी उपस्थिति इस बात का संकेत है कि कश्मीर की नदी पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार हो रहा है।
H2: यूरेशियन ऊदबिलाव का पारिस्थितिक महत्व
यूरेशियन ऊदबिलाव मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी उपस्थिति:
- न्यूनतम जल प्रदूषण का सूचक है।
- जलजीवों की श्रृंखला को संतुलित रखती है।
- नदी तंत्र में जल प्रवाह और जैव विविधता का संरक्षण करती है।
इसका लौटना कश्मीर की नदियों की सेहत में सुधार का संकेत है, जो कृषि, पेयजल और स्थानीय आजीविका के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
H2: कश्मीर में अन्य जगहों पर उपस्थिति
कश्मीर में ऊदबिलाव की वापसी की एक श्रृंखला देखी जा रही है:
- चिनाब नदी
- रामबियारा धारा (शोपियां)
- गुरेज घाटी (बांदीपोरा)
यह दिखाता है कि कश्मीर में अभी भी कुछ क्षेत्र स्वस्थ जल पारिस्थितिकी को बनाए रखे हुए हैं।
H2: यूरेशियन ऊदबिलाव के सामने खतरे
इस प्रजाति को कई खतरों का सामना करना पड़ता है:
- आर्द्रभूमि का सिकुड़ना
- जल प्रदूषण
- आवास विखंडन
- फर के लिए अवैध शिकार
IUCN रेड लिस्ट पर यह प्रजाति निकट संकटग्रस्त (Near Threatened) श्रेणी में सूचीबद्ध है।
H2: भारत में ऊदबिलाव का वितरण
कश्मीर के अलावा, यूरेशियन ऊदबिलाव भारत में निम्नलिखित क्षेत्रों में पाया जाता है:
- पश्चिमी घाट (कर्नाटक, केरल)
- हिमालय की तलहटी (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश)
- गोवा
- पूर्वोत्तर भारत (अरुणाचल प्रदेश)
- चंबल नदी क्षेत्र (मध्य प्रदेश)
जम्मू-कश्मीर के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य (परीक्षा हेतु)
- राजधानी: श्रीनगर (गर्मी), जम्मू (सर्दी)
- उपराज्यपाल: मनोज सिन्हा (2025 तक)
- मुख्य नदियां: झेलम, चिनाब, लिद्दर, रावी, तवी
- प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान: दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान, हेमिस राष्ट्रीय उद्यान, किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान, सलीम अली राष्ट्रीय उद्यान
MCQ (परीक्षा शैली)
1. कश्मीर में हाल ही में यूरेशियन ऊदबिलाव का दिखना किसका संकेत है?
A) नदी पारिस्थितिकी का क्षरण
B) जल प्रदूषण में वृद्धि
C) नदी स्वास्थ्य का पुनर्जीवन
D) जलीय जैव विविधता में गिरावट
उत्तर: C) नदी स्वास्थ्य का पुनर्जीवन
2. IUCN द्वारा यूरेशियन ऊदबिलाव को किस श्रेणी में रखा गया है?
A) संकटग्रस्त
B) अति संकटग्रस्त
C) असुरक्षित
D) निकट संकटग्रस्त
उत्तर: D) निकट संकटग्रस्त
3. कश्मीर में ऊदबिलाव की हालिया उपस्थिति किस नदी से जुड़ी है?
A) चिनाब
B) लिद्दर सहायक धारा
C) झेलम मुख्य धारा
D) तवी
उत्तर: B) लिद्दर सहायक धारा
4. यूरेशियन ऊदबिलाव किसका सूचक है?
A) उच्च मृदा अपरदन
B) स्वच्छ जल पारिस्थितिकी
C) सूखी नदी की घाटियाँ
D) खारा जल क्षेत्र
उत्तर: B) स्वच्छ जल पारिस्थितिकी
UPSC-स्टाइल FAQs (उत्तर लेखन प्रारूप में)
Q1. कश्मीर के मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र के संदर्भ में यूरेशियन ऊदबिलाव को कीस्टोन प्रजाति के रूप में महत्त्वपूर्ण क्यों माना जाता है? (150 शब्द)
मॉडल उत्तर:
यूरेशियन ऊदबिलाव (Lutra lutra) को कीस्टोन प्रजाति माना जाता है क्योंकि यह मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। कश्मीर में इसकी 30 वर्षों बाद वापसी न केवल प्रजाति की उपस्थिति का संकेत है बल्कि नदी पारिस्थितिकी के पुनर्जीवन की ओर भी इशारा करती है। यह प्रजाति मछलियों और जलीय अकशेरुक जीवों का शिकार कर पारिस्थितिक श्रृंखला को संतुलित रखती है। इसकी उपस्थिति न्यूनतम रासायनिक प्रदूषण और स्थिर जल प्रवाह को दर्शाती है, जो कृषि और पेयजल के लिए आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों से जूझ रही नदियों के लिए यह प्रजाति संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देती है। अतः ऊदबिलाव की रक्षा करना पूरे नदी तंत्र के स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
Q2. भारत में यूरेशियन ऊदबिलाव के संरक्षण की चुनौतियाँ और रणनीतियों की विवेचना कीजिए। (250 शब्द)
मॉडल उत्तर:
भारत में यूरेशियन ऊदबिलाव के संरक्षण के सामने अनेक चुनौतियाँ हैं। इनमें सबसे प्रमुख है नदी और आर्द्रभूमि आवास का नष्ट होना, जो शहरीकरण, बालू खनन और अनियंत्रित पर्यटन के कारण हो रहा है। गंदगी और औद्योगिक, कृषि अपशिष्टों से जल प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे इनके रहने योग्य पर्यावरण नष्ट हो रहे हैं। इसके अलावा फर के लिए अवैध शिकार भी एक बड़ा खतरा बना हुआ है।
इन समस्याओं के समाधान हेतु बहुस्तरीय रणनीतियाँ आवश्यक हैं। सबसे पहले, नदी तटों और आर्द्रभूमियों को संरक्षित क्षेत्रों के रूप में चिन्हित कर उनके सख्त प्रबंधन की आवश्यकता है। दूसरे, जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए पर्यावरण कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन और जैविक कृषि को बढ़ावा देना जरूरी है। स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित कर शिकार पर रोक और वैकल्पिक आजीविका साधनों का प्रोत्साहन भी किया जाना चाहिए। ऊदबिलाव पर वैज्ञानिक अध्ययन और जनजागरूकता अभियानों से दीर्घकालिक नीति निर्माण में सहायता मिलेगी। अंततः, नदी बेसिन प्रबंधन योजनाओं में ऊदबिलाव संरक्षण को शामिल करना चाहिए ताकि पारिस्थितिकी और विकास के बीच संतुलन बना रहे।