
SSC, UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए मुख्य बिंदु:
- दलाई लामा 6 जुलाई 2025 को 90 वर्ष के हो जाएंगे।
- उन्होंने अपने निधन के बाद भी 600 साल पुराने दलाई लामा संस्थान की निरंतरता का संकेत दिया।
- वह 1959 से भारत के धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं।
- वह दलाई लामा के 14वें अवतार माने जाते हैं।
- उन्होंने कहा कि यदि जनता की मांग होगी, तो संस्था जारी रह सकती है।
- कार्यक्रम का आयोजन धर्मशाला के त्सुगलाखंग मंदिर में हुआ।
- 2011 में उन्होंने राजनीतिक अधिकार निर्वासित तिब्बती सरकार को सौंप दिए थे।
- आशंका है कि चीन एक नया दलाई लामा नियुक्त कर तिब्बत पर नियंत्रण और बढ़ा सकता है।
- दलाई लामा का अस्तित्व तिब्बती संस्कृति और चीनी शासन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक है।
संपूर्ण विवरण:
परिचय
30 जून 2025 को अपने 90वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित एक विशेष प्रार्थना समारोह में, दलाई लामा ने संकेत दिया कि उनकी मृत्यु के बाद भी दलाई लामा संस्था जारी रह सकती है। यह समारोह धर्मशाला में हजारों अनुयायियों और वैश्विक दर्शकों की उपस्थिति में हुआ।
दलाई लामा का संदेश
मरून और पीले पारंपरिक वस्त्रों में सजे दलाई लामा ने कहा:
“दलाई लामा संस्था के संदर्भ में, एक ऐसा ढांचा हो सकता है जिसमें इसकी निरंतरता पर चर्चा की जा सके।”
उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि उनकी उम्र 90 वर्ष है, फिर भी वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं और अन्य लोगों की भलाई के लिए समर्पित रहेंगे।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- दलाई लामा को तिब्बती करुणा के बोधिसत्व अवलोकितेश्वर का अवतार माना जाता है।
- 1959 में तिब्बत में चीनी दमन के बाद वह भारत भाग आए और धर्मशाला में निवास करने लगे।
- 2011 में, उन्होंने राजनीतिक अधिकार एक चुनी हुई निर्वासित सरकार को सौंप दिए थे।
राजनीतिक संदर्भ और चिंताएं
- चीन उन्हें “विद्रोही” और “अलगाववादी” करार देता है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उन्हें शांति का प्रतीक मानता है।
- आशंका है कि चीन एक अपनी पसंद का दलाई लामा नियुक्त कर तिब्बत पर अपनी पकड़ मजबूत करेगा।
- दलाई लामा पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि पुनर्जन्म प्रणाली का राजनीतिक दुरुपयोग हो सकता है।
वैश्विक महत्व
यह जन्मदिन केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक और राजनीतिक प्रतीक है। यह तिब्बती पहचान, विश्वव्यापी बौद्ध समुदाय और मानवाधिकारों के समर्थन से जुड़ा हुआ है।
“हम प्रार्थना करते हैं कि बर्फीले प्रदेशों के रक्षक, तेनज़िन ग्यात्सो, सौ युगों तक जीवित रहें,” भिक्षुओं ने सामूहिक रूप से गाया।
महत्वपूर्ण जानकारी: धर्मशाला (भारत)
श्रेणी | विवरण |
---|---|
राज्य | हिमाचल प्रदेश |
राजधानी | शिमला (ग्रीष्मकालीन), धर्मशाला (शीतकालीन) |
मुख्यमंत्री | सुखविंदर सिंह सुक्खू (2025 तक) |
प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान | ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क |
मुख्य नदियाँ | ब्यास, रावी |
उल्लेखनीय स्थान | त्सुगलाखंग मंदिर, धर्मशाला |
परीक्षाओं के लिए बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
Q1. दलाई लामा का 90वां जन्मदिन प्रार्थना समारोह कहाँ आयोजित हुआ था?
A. ल्हासा
B. काठमांडू
C. त्सुगलाखंग मंदिर, धर्मशाला
D. बोधगया
उत्तर: C
Q2. दलाई लामा ने निर्वासित तिब्बती सरकार को राजनीतिक अधिकार कब सौंपे थे?
A. 2008
B. 2011
C. 2015
D. 2018
उत्तर: B
Q3. दलाई लामा किस बोधिसत्व के अवतार माने जाते हैं?
A. मंजुश्री
B. अवलोकितेश्वर
C. वज्रपाणि
D. समंतभद्र
उत्तर: B
Q4. दलाई लामा ने तिब्बत से कब भारत में शरण ली?
A. 1955
B. 1957
C. 1959
D. 1962
उत्तर: C
Q5. अब तक दलाई लामा के कितने अवतार हो चुके हैं?
A. 12
B. 13
C. 14
D. 15
उत्तर: C
UPSC प्रारूप आधारित FAQs
Q1. दलाई लामा के 90वें जन्मदिन का क्या महत्व है?
उत्तर:
दलाई लामा का 90वां जन्मदिन न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि तिब्बती संस्कृति और धार्मिक पहचान के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। इस अवसर पर उन्होंने इस बात का संकेत दिया कि दलाई लामा संस्था भविष्य में भी जारी रह सकती है, जिससे लाखों तिब्बतियों और वैश्विक अनुयायियों को आशा मिली है। यह चीन की राजनीति के संदर्भ में भी एक निर्णायक क्षण बन गया है।
Q2. दलाई लामा की संस्था की निरंतरता के उनके बयान के क्या प्रभाव हैं?
उत्तर:
दलाई लामा द्वारा दिया गया यह बयान यह सुनिश्चित करता है कि संस्था भविष्य में जारी रह सकती है, बशर्ते जनसामान्य की मांग हो। इससे तिब्बतियों की धार्मिक और सांस्कृतिक निरंतरता को बल मिलेगा, लेकिन यह चीन द्वारा नियुक्त किसी प्रतिस्थापन दलाई लामा की आशंका को भी जन्म देता है, जिससे तिब्बती पहचान खतरे में पड़ सकती है।
Q3. दलाई लामा का निर्वासन तिब्बती राजनीति और वैश्विक समर्थन को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर:
दलाई लामा के निर्वासन ने तिब्बती स्वतंत्रता और स्वायत्तता के वैश्विक आंदोलन को गति दी है। धर्मशाला में निर्वासित सरकार और बौद्ध शिक्षण केंद्रों की स्थापना ने तिब्बती पहचान को सुरक्षित रखा है। उन्होंने अहिंसा और करुणा के संदेश को विश्वभर में फैलाया है।
Q4. दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति तिब्बत नीति में चीन की भूमिका को कैसे दर्शाती है?
उत्तर:
चीन दलाई लामा के उत्तराधिकारी को अपनी पसंद से नियुक्त कर तिब्बत पर नियंत्रण बनाए रखना चाहता है। यह धार्मिक प्रणाली के साथ राजनीतिक हस्तक्षेप है। इसीलिए दलाई लामा का यह बयान कि “संस्था तभी जारी रहेगी जब लोगों की मांग होगी”, चीन की रणनीति को चुनौती देता है।
Q5. भारत ने दलाई लामा और निर्वासित तिब्बती सरकार को क्या समर्थन दिया है?
उत्तर:
भारत ने 1959 से दलाई लामा और हजारों तिब्बतियों को शरण दी है। धर्मशाला में तिब्बती सरकार और बौद्ध शिक्षण केंद्रों की स्थापना ने तिब्बती धर्म और संस्कृति को जीवित रखा है। भारत का यह समर्थन न केवल मानवीय दृष्टिकोण दर्शाता है बल्कि दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन का भी प्रतीक है।