
SSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- भारत सरकार की दुर्लभ रक्तदाता रजिस्ट्री अब e‑Rakt Kosh से जोड़ी जाएगी।
- रजिस्ट्री में 4,000 से अधिक दाताओं का डेटा, जो 300+ दुर्लभ ब्लड मार्कर पर जांचे गए हैं।
- यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत की जा रही है।
- ICMR‑NIIH ने भारत के लिए खास DNA स्क्रीनिंग किट और पॉइंट-ऑफ-केयर (POC) टेस्ट तैयार किए।
- सिकल सेल परीक्षण की कीमत ₹350 से घटाकर ₹50 की गई, जिससे सरकार को ₹1,857 करोड़ की बचत हुई।
- यह तकनीक बेंगलुरु स्थित भाट बायोटेक ने अगस्त 2023 में Bio‑Scan ब्रांड के तहत बाज़ार में उतारी।
- भारत में हीमोफीलिया के लगभग 1.4 लाख मामले हैं—दुनिया में ब्राज़ील के बाद दूसरे स्थान पर।
दुर्लभ रक्तदाता रजिस्ट्री अब e-Rakt Kosh से जोड़ी जाएगी
क्या बदलेगा और इसका क्या महत्व है
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दुर्लभ रक्तदाता रजिस्ट्री को e‑Rakt Kosh से जोड़ने का फैसला एक बड़ा कदम है। अब एक ही पोर्टल पर देशभर के रक्त बैंकों, रक्त उपलब्धता, और रक्तदान शिविरों की जानकारी मिलेगी। इससे बॉम्बे, Rh-null और P-null जैसे अत्यंत दुर्लभ रक्त समूह वाले मरीजों को तत्काल सहायता मिल सकेगी।
तकनीकी नवाचार और जांच प्रणाली
- रजिस्ट्री डेटा: ICMR‑NIIH और 4 अन्य संस्थानों ने 4,000 दाताओं की रजिस्ट्री तैयार की, जिन्हें 300+ दुर्लभ मार्करों पर जांचा गया।
- DNA आधारित किट: मल्टीप्लेक्स PCR तकनीक पर आधारित, भारतीय जनसंख्या के अनुसार तैयार।
- POC टेस्ट: सिकल सेल, हीमोफीलिया A और वॉन विलेब्रांड जैसे रोगों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपयोगी।
- कम लागत, ज्यादा लाभ: टेस्ट की लागत ₹350 से घटकर ₹50, कुल ₹1,857 करोड़ की सरकारी बचत।
- Bio‑Scan ब्रांड: भाट बायोटेक द्वारा अगस्त 2023 में व्यावसायीकरण।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
- सुरक्षित रक्त चढ़ाने की सुविधा—खासकर थैलेसीमिया व सिकल सेल जैसे रोगों के लिए।
- ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में सस्ती जांच सुविधा।
- भारत में हीमोफीलिया के ~1.4 लाख मरीज; अब त्वरित पहचान संभव।
- विश्व हीमोफीलिया संघ (WFH) भारत के किफायती टेस्टिंग किट्स में रुचि दिखा रहा है।
MCQ से पहले महत्वपूर्ण संगठन व राज्य
शामिल संगठन और पहल
- ICMR‑NIIH: राष्ट्रीय प्रतिरक्त विज्ञान संस्थान, मुंबई स्थित, ICMR के अंतर्गत।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM): भारत सरकार की सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना।
- भाट बायोटेक: बेंगलुरु की जैव प्रौद्योगिकी कंपनी, जिसने Bio‑Scan किट विकसित की।
हीमोफीलिया
- रोग तथ्य: भारत में ~1.4 लाख मरीज; खून का थक्का नहीं जमता।
- जांच किट्स: हीमोफीलिया A, वॉन विलेब्रांड; अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध।
MCQs
Q1. किस संस्था ने दुर्लभ रक्तदाता रजिस्ट्री विकसित की है?
A. WHO
B. ICMR‑NIIH – सही उत्तर
C. NACO
D. AIIMS
Q2. निम्न में से कौन सा रक्त समूह अल्ट्रा‑दुर्लभ नहीं है?
A. बॉम्बे
B. Rh-null
C. P-null
D. O-negative – सही उत्तर
Q3. सिकल सेल जांच किट की कीमत कितनी कम की गई?
A. ₹100 → ₹50
B. ₹350 → ₹50 – सही उत्तर
C. ₹500 → ₹50
D. ₹350 → ₹100
Q4. Bio‑Scan टेस्टिंग किट्स किसने व्यावसायीकरण की?
A. सीरम इंस्टिट्यूट
B. भाट बायोटेक – सही उत्तर
C. सिप्ला
D. बायोकॉन
Q5. हीमोफीलिया मामलों में भारत का वैश्विक स्थान क्या है?
A. पहला
B. दूसरा – सही उत्तर
C. तीसरा
D. चौथा
H3: UPSC-स्टाइल FAQs
Q1: दुर्लभ रक्तदाता रजिस्ट्री को e-Rakt Kosh से जोड़ने का महत्व बताइए।
उत्तर (परिचय):
यह एकीकृत प्रणाली मरीजों को तुरंत दुर्लभ रक्त समूह उपलब्ध कराने में मदद करेगी।
(मुख्य भाग):
- रक्त की उपलब्धता और रक्तदाताओं की जानकारी एक ही पोर्टल पर।
- कई एंटीजन के साथ मेल खाने वाले रक्त की सुविधा से जटिलताओं में कमी।
- देशव्यापी रजिस्ट्री से तुरंत सटीक मैच संभव।
(निष्कर्ष):
यह पहल सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूती देती है और ‘रक्त की कमी से कोई जान न जाए’ के लक्ष्य की दिशा में एक कदम है।
Q2: भारत में पॉइंट-ऑफ-केयर डायग्नोस्टिक की भूमिका पर चर्चा करें।
उत्तर (परिचय):
POC तकनीक दूर-दराज क्षेत्रों में सस्ती व त्वरित जांच संभव बनाती है।
(मुख्य भाग):
- ₹350 से ₹50 पर लाकर जांच को सुलभ किया गया।
- सिकल सेल, हीमोफीलिया जैसे रोगों की पहचान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी संभव।
- ICMR‑NIIH ने इसे विकसित किया और भाट बायोटेक ने बाज़ार में उतारा।
(निष्कर्ष):
यह तकनीक स्वास्थ्य सेवाओं का लोकतंत्रीकरण करती है और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की दिशा में अग्रसर करती है।
सामान्य प्रश्नोत्तर (FAQ)
1. e‑Rakt Kosh क्या है?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत एक ऑनलाइन पोर्टल है जो रक्त बैंकों और रक्त उपलब्धता की निगरानी करता है।
2. बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या है?
एक अल्ट्रा-दुर्लभ रक्त समूह जिसमें H एंटीजन नहीं होता, दुनिया में बहुत कम लोगों में पाया जाता है।
3. परीक्षण की लागत में कमी कैसे लाई गई?
DHR और ICMR‑CRMCH के नेतृत्व में तकनीक मूल्यांकन से ₹350 की किट को ₹50 में बदला गया, जिससे ₹1,857 करोड़ की सरकारी बचत हुई।
4. भाट बायोटेक कौन है?
बेंगलुरु की जैव प्रौद्योगिकी कंपनी जिसने अगस्त 2023 में Bio‑Scan किट लॉन्च की।
5. इस पहल से सार्वजनिक स्वास्थ्य को क्या लाभ होगा?
दुर्लभ रक्त की त्वरित उपलब्धता, सुरक्षित ट्रांसफ्यूजन, कम लागत, और ग्रामीण क्षेत्रों में सुलभ जांच सुविधा।