
SSC, UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- IEA रिपोर्ट के अनुसार, 2019–2024 के बीच बिजली उत्पादन में भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है।
- शीर्ष देश: चीन (1), अमेरिका (2), भारत (3)।
- 2024 में भारत की कुल पावर सेक्टर निवेश का 83% हिस्सा क्लीन एनर्जी में गया।
- सोलर PV रहा सबसे बड़ा गैर-जीवाश्म ऊर्जा निवेश स्रोत (50% से अधिक हिस्सेदारी)।
- भारत ने $2.4 बिलियन DFI फंडिंग प्राप्त की – विश्व में सबसे अधिक।
- $5 बिलियन FDI (2023) – कोविड पूर्व स्तर से लगभग दोगुना।
- परमाणु क्षेत्र को छोड़कर 100% विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति।
- प्रमुख सरकारी योजनाएं: नेशनल सोलर मिशन, PLI योजना, ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर।
- लक्ष्य: 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म क्षमता और 2070 तक नेट जीरो।
- हाल के वर्षों में FPI (Foreign Portfolio Investment) में गिरावट, लेकिन लंबी अवधि में निवेश दृष्टिकोण सकारात्मक।
भारत की बिजली क्रांति: विस्तृत विश्लेषण
बिजली उत्पादन में भारत की वैश्विक छलांग
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2019 से 2024 के बीच वैश्विक बिजली उत्पादन वृद्धि में तीसरे सबसे बड़े योगदानकर्ता के रूप में स्थान प्राप्त किया है। केवल चीन और अमेरिका भारत से आगे हैं।
भारत में बिजली मांग क्यों बढ़ रही है?
घरेलू मांग में तेजी
- शहरों और गांवों में तेज़ी से विद्युतीकरण।
- आवासीय व वाणिज्यिक निर्माण में वृद्धि।
- एसी और घरेलू उपकरणों के बढ़ते उपयोग।
- औद्योगिक वृद्धि और “मेक इन इंडिया” जैसे अभियानों से मांग बढ़ी।
क्लीन एनर्जी पर जोर
- सोलर फोटovoltaic (PV) परियोजनाओं ने नवीकरणीय ऊर्जा में अग्रणी भूमिका निभाई।
- गैर-जीवाश्म ऊर्जा निवेश में सोलर PV का हिस्सा 50% से अधिक।
- 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म क्षमता का लक्ष्य।
निवेश का रुझान
- 2024 में 83% निवेश स्वच्छ ऊर्जा में।
- 2023 में FDI $5 बिलियन – कोविड पूर्व से लगभग दोगुना।
- $2.4 बिलियन DFI भारत को स्वच्छ ऊर्जा के लिए – वैश्विक स्तर पर सर्वोच्च।
- परमाणु क्षेत्र को छोड़कर 100% FDI की अनुमति।
नीति और सरकारी समर्थन
प्रमुख योजनाएं
- राष्ट्रीय सौर मिशन – सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना।
- PLI योजना – नवीकरणीय निर्माण के लिए प्रोत्साहन।
- ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर – नवीकरणीय ऊर्जा के ट्रांसमिशन के लिए ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर।
- 2070 तक नेट ज़ीरो का वचन।
भारत के समक्ष चुनौतियां
- हाल के वर्षों में FPI में गिरावट।
- कारण: वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, घरेलू सेक्टर चुनौतियां।
- लेकिन दीर्घकालिक निवेश दृष्टिकोण सकारात्मक है।
महत्वपूर्ण संगठन
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)
- मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस
- स्थापना: 1974
- संबंधित संस्था: OECD
- भूमिका: वैश्विक ऊर्जा ट्रेंड्स की निगरानी, ऊर्जा सुरक्षा और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना
विषय आधारित वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs)
Q1. IEA के अनुसार, 2019–2024 के बीच बिजली उत्पादन वृद्धि में भारत का वैश्विक स्थान क्या है?
A. प्रथम
B. द्वितीय
C. तृतीय
D. चतुर्थ
उत्तर: C. तृतीय
Q2. 2024 में भारत की कुल पावर सेक्टर निवेश का कितना प्रतिशत क्लीन एनर्जी में गया?
A. 65%
B. 70%
C. 83%
D. 90%
उत्तर: C. 83%
Q3. निम्न में से कौन-सा कारण भारत में बिजली मांग बढ़ने के पीछे नहीं है?
A. ग्रामीण जनसंख्या में गिरावट
B. घरेलू उपकरणों का बढ़ता उपयोग
C. औद्योगिक वृद्धि
D. वाणिज्यिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में विस्तार
उत्तर: A. ग्रामीण जनसंख्या में गिरावट
Q4. भारत में नवीकरणीय निर्माण के लिए कौन-सी नीति कार्यान्वित है?
A. स्टार्ट-अप इंडिया
B. नई शिक्षा नीति
C. PLI योजना
D. मुद्रा योजना
उत्तर: C. PLI योजना
Q5. भारत में 2023 में पावर सेक्टर में कितना FDI आया?
A. $2 बिलियन
B. $3.5 बिलियन
C. $5 बिलियन
D. $6.2 बिलियन
उत्तर: C. $5 बिलियन
UPSC के लिए उत्तर लेखन शैली में FAQs
Q1. भारत के तीसरे सबसे बड़े बिजली उत्पादक बनने में स्वच्छ ऊर्जा नीतियों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत का वैश्विक बिजली उत्पादन में तीसरे स्थान तक पहुंचना उसकी अग्रगामी स्वच्छ ऊर्जा नीतियों का प्रमाण है। राष्ट्रीय सौर मिशन और PLI योजनाएं नवीकरणीय क्षेत्र में उत्पादन क्षमता और तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करती हैं। साथ ही ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर जैसी परियोजनाएं ऊर्जा ट्रांसमिशन में सहायता करती हैं।
100% FDI की अनुमति, वैश्विक पूंजी को आकर्षित करती है। 2024 में कुल निवेश का 83% क्लीन एनर्जी में गया, और सोलर PV इस विकास का प्रमुख स्रोत रहा। भारत के दीर्घकालिक लक्ष्य — 2030 तक 500 GW क्षमता और 2070 तक नेट ज़ीरो — इस क्षेत्र की नीति स्पष्टता को दर्शाते हैं।
हालांकि FPI में हाल ही में गिरावट देखी गई है, लेकिन व्यापक नीतिगत समर्थन और निवेश की मांग के चलते दीर्घकालिक परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है।
Q2. वर्ष 2020 के बाद भारत के ऊर्जा क्षेत्र में निवेश प्रवृत्तियों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
2020 के बाद, भारत के ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 2023 में FDI $5 बिलियन पर पहुंचा, जबकि 2024 में DFI के माध्यम से $2.4 बिलियन क्लीन एनर्जी में आया, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है। इससे भारत की वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में स्थिति मजबूत हुई है।
हालांकि, Foreign Portfolio Investment (FPI) में गिरावट दर्ज की गई है, जिसका कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और कुछ घरेलू बाधाएं रही हैं। भूमि अधिग्रहण, नीति स्थायित्व और वितरण नेटवर्क की चुनौतियां निवेशकों के लिए चिंता का विषय बनी रहीं।
फिर भी, नीतिगत सुधार, विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा पर जोर, और वैश्विक सहयोग भारत को ऊर्जा निवेश का आकर्षक केंद्र बनाते हैं।