रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने होर्टोकी-सैरांग रेलवे लाइन पर संचालन की अनुमति दे दी है। यह मिजोरम की राजधानी आइजोल को पहली बार भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने वाली ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह सरकार की पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों को रेलवे से जोड़ने की योजना का बड़ा हिस्सा है।


SSC, UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • होर्टोकी-सैरांग लाइन की लंबाई: 33.86 किमी
  • बैराबी-सैरांग परियोजना की कुल लंबाई: 51.38 किमी
  • परियोजना में सुरंगों की संख्या: 48 (कुल लंबाई 12,853 मीटर)
  • मुख्य पुलों की संख्या: 55
  • सबसे ऊंचा पुल: पुल नंबर 196, 104 मीटर (कुतुब मीनार से 42 मीटर ऊंचा)
  • नई लाइन पर अधिकतम गति सीमा: 90 किमी प्रति घंटा
  • अंतिम निरीक्षण तिथि: 6 से 10 जून 2025
  • CRS किस मंत्रालय के अधीन है: नागर विमानन मंत्रालय
  • परियोजना का उद्देश्य: सभी पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों को रेलवे से जोड़ना
  • मिजोरम की राजधानी: आइजोल

होर्टोकी-सैरांग रेलवे परियोजना का पूरा विवरण

पृष्ठभूमि और महत्व

होर्टोकी-सैरांग रेलवे लाइन, बैराबी-सैरांग नई लाइन परियोजना का हिस्सा है, जिसे रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) की अनुमति मिल गई है। इस मंजूरी से मिजोरम की राजधानी आइजोल पहली बार राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ गई है, जो राज्य के विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।

तकनीकी विशेषताएं

बैराबी-सैरांग रेल परियोजना में शामिल हैं:

  • 48 सुरंगें (कुल लंबाई 12,853 मीटर)
  • 55 मुख्य पुल
  • 87 छोटे पुल
  • 5 रोड ओवरब्रिज
  • 6 रोड अंडरब्रिज

इस परियोजना का इंजीनियरिंग चमत्कार पुल नंबर 196 है, जिसकी ऊंचाई 104 मीटर है, जो कुतुब मीनार से 42 मीटर ऊंचा है।

अंतिम निरीक्षण

CRS सुमीत सिंगल ने 6 से 10 जून 2025 के बीच अंतिम निरीक्षण किया। निरीक्षण मोटर ट्रॉली, पैदल यात्रा और डीजल इंजन वाली विशेष ट्रेन के स्पीड ट्रायल से किया गया। इसके बाद 90 किमी प्रति घंटा की अधिकतम गति पर माल और यात्री गाड़ियों के संचालन की अनुमति दी गई।

व्यापक दृष्टि

यह परियोजना भारतीय रेलवे की उस योजना का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर की सभी राजधानियों को रेलवे से जोड़ना है। इसमें नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और असम शामिल हैं। हालांकि मेघालय में स्थानीय विरोध के कारण प्रगति नहीं हो पाई है।


मिजोरम के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

  • राज्य: मिजोरम
  • राजधानी: आइजोल
  • मुख्यमंत्री (2025): लालदूहोमा
  • राज्यपाल (2025): हरि बाबू खंभापति
  • मुख्य नदियाँ: त्लावंग, तुइरियल
  • महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यान: फॉन्गपुई नेशनल पार्क
  • सीमा से सटे राज्य: असम, मणिपुर, त्रिपुरा
  • अंतरराष्ट्रीय सीमाएं: म्यांमार, बांग्लादेश

परीक्षा उपयोगी MCQs

Q1. हाल ही में मंजूर होर्टोकी-सैरांग रेलवे लाइन किस राज्य की राजधानी को पहली बार राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ेगी?
a) कोहिमा
b) आइजोल
c) इम्फाल
d) अगरतला

उत्तर: b) आइजोल


Q2. बैराबी-सैरांग रेल परियोजना का सबसे ऊंचा पुल कितनी ऊंचाई का है?
a) 104 मीटर
b) 76 मीटर
c) 62 मीटर
d) 89 मीटर

उत्तर: a) 104 मीटर


Q3. बैराबी-सैरांग परियोजना में मुख्य पुलों की संख्या कितनी है?
a) 32
b) 55
c) 48
d) 87

उत्तर: b) 55


Q4. रेलवे सुरक्षा आयुक्त किस मंत्रालय के अधीन कार्य करता है?
a) रेल मंत्रालय
b) नागर विमानन मंत्रालय
c) सड़क परिवहन मंत्रालय
d) गृह मंत्रालय

उत्तर: b) नागर विमानन मंत्रालय


UPSC-स्टाइल FAQs (Answer Writing Format)

Q1. मिजोरम के सामाजिक-आर्थिक विकास में होर्टोकी-सैरांग रेलवे लाइन का महत्व स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
होर्टोकी-सैरांग रेलवे लाइन मिजोरम के लिए रणनीतिक और सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लाइन के माध्यम से पहली बार आइजोल को राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ा गया है, जिससे राज्य का शेष भारत से संपर्क मजबूत हुआ है। यह परियोजना माल ढुलाई लागत को कम करेगी और कृषि, बागवानी तथा शिल्प उत्पादों के लिए नए बाजारों तक पहुंच को आसान बनाएगी। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि राज्य की सुंदरता अब देशभर के पर्यटकों के लिए अधिक सुलभ हो जाएगी। रणनीतिक दृष्टि से यह परियोजना सीमावर्ती राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को भी मजबूत बनाएगी। यह पहल एक्ट ईस्ट पॉलिसी का भी हिस्सा है, जो भारत के पूर्वी और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का लक्ष्य रखती है।


Q2. बैराबी-सैरांग रेल परियोजना से जुड़ी प्रमुख इंजीनियरिंग चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:
बैराबी-सैरांग रेल परियोजना मिजोरम के कठिन और पहाड़ी भूगोल में बनाई गई है, जिससे कई इंजीनियरिंग चुनौतियाँ उत्पन्न हुईं। इसमें 48 सुरंगें और 55 मुख्य पुल बनाए गए, जिनमें पुल संख्या 196 104 मीटर ऊंचा है, जो कुतुब मीनार से भी ऊंचा है। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में सुरंग निर्माण और पुलों की नींव बनाना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण रहा। मिजोरम में भारी मानसूनी वर्षा ने निर्माण कार्यक्रम को प्रभावित किया और उन्नत जल निकासी और ढलान स्थिरीकरण तकनीकों की आवश्यकता पड़ी। यह परियोजना कठिन भू-भाग में भारत की अधोसंरचना क्षमताओं का प्रमाण है।


Q3. भारत की पूर्वोत्तर नीति में बैराबी-सैरांग रेल परियोजना की भूमिका स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
बैराबी-सैरांग रेल परियोजना पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ने की भारत सरकार की व्यापक नीति का हिस्सा है। यह एक्ट ईस्ट पॉलिसी के उद्देश्यों के अनुरूप है, जो पूर्वोत्तर राज्यों में आधारभूत संरचना के विकास और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ संपर्क को बढ़ाने का कार्य करती है। यह परियोजना क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने, आर्थिक अवसरों को बढ़ाने और पूर्वोत्तर के लोगों की लंबे समय से चली आ रही अलगाव की भावना को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही, यह रणनीतिक दृष्टि से सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास दोनों को मजबूत करती है।