
SSC, UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- भारत की थोक महंगाई दर मई 2025 में घटकर 0.39% रही, जो कि 14 महीने का न्यूनतम स्तर है।
- WPI (थोक मूल्य सूचकांक) फैक्ट्री गेट पर वस्तुओं की कीमतों को मापता है, न कि उपभोक्ता स्तर पर।
- अप्रैल 2025 में WPI आधारित महंगाई दर 0.85% थी।
- गिरावट के कारण: खनिज, खनिज तेल और गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी।
- वृद्धि के कारण: खाद्य वस्तुएं, कोयला और बिजली की कीमतों में वृद्धि।
- WPI का आधार वर्ष = 2011-12
- यह डेटा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है।
- WPI में तीन प्रमुख समूह होते हैं: प्राथमिक वस्तुएं, ईंधन और ऊर्जा, विनिर्मित उत्पाद।
- 22 NIC समूहों में से 10 में कीमतें बढ़ीं, 9 में घटीं।
मई 2025 WPI डेटा: पूरी जानकारी
WPI क्या है?
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में बदलाव को मापता है। यह CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) से अलग है, जो उपभोक्ता द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को मापता है।
मई 2025 की मुख्य बातें
- WPI महंगाई दर 0.39% रही, जो 14 महीनों में सबसे कम है।
- अप्रैल 2025 में यह 0.85% थी।
- कीमतों में गिरावट:
- खनिज: -7.16%
- खनिज तेल: -2.06%
- गैर-खाद्य वस्तुएं: -0.63%
- कीमतों में वृद्धि:
- खाद्य वस्तुएं: +0.56%
- कोयला: +0.81%
- बिजली: +0.80%
WPI की संरचना
WPI में वस्तुओं को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
- प्राथमिक वस्तुएं (खाद्य और गैर-खाद्य)
- ईंधन और ऊर्जा
- विनिर्मित उत्पाद
22 NIC वर्गों में:
- 10 समूहों में कीमतें बढ़ीं (जैसे: अन्य विनिर्माण, गैर-धात्विक खनिज उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र)
- 9 समूहों में कीमतें घटीं (जैसे: खाद्य उत्पाद, बेसिक मेटल्स, रसायन, प्लास्टिक)
- 3 समूहों में कोई बदलाव नहीं
आधार वर्ष और जारी करने वाली संस्था
- आधार वर्ष: 2011-12
- जारी करने वाली संस्था: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के बारे में
- स्थापना: 1947
- प्रमुख विभाग: वाणिज्य विभाग, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग
- भूमिका: व्यापार, उद्योग और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) को जारी करना
- वर्तमान मंत्री (2025 में): पीयूष गोयल
मई 2025 WPI पर आधारित MCQ
1. मई 2025 में भारत की WPI आधारित महंगाई दर कितनी रही?
A) 0.85%
B) 0.39%
C) 1.2%
D) 1.5%
उत्तर: B) 0.39%
2. भारत में WPI डेटा कौन जारी करता है?
A) सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय
B) वित्त मंत्रालय
C) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
D) नीति आयोग
उत्तर: C) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
3. वर्तमान WPI श्रृंखला का आधार वर्ष क्या है?
A) 2004-05
B) 2011-12
C) 2015-16
D) 2019-20
उत्तर: B) 2011-12
4. मई 2025 में किसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई?
A) खाद्य वस्तुएं
B) कोयला
C) गैर-खाद्य वस्तुएं
D) बिजली
उत्तर: C) गैर-खाद्य वस्तुएं
UPSC स्टाइल FAQs (उत्तर UPSC उत्तर लेखन प्रारूप में)
Q1. भारत में महंगाई मापने में WPI का महत्व स्पष्ट कीजिए। यह CPI से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
भारत में WPI (थोक मूल्य सूचकांक) महंगाई का प्रारंभिक संकेतक होता है क्योंकि यह थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में बदलाव दिखाता है। यह उत्पादन और वितरण क्षेत्र में कीमतों की स्थिरता को मापने में मदद करता है।
CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) की तुलना में, जो उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को मापता है, WPI केवल वस्तुओं की कीमतें मापता है और सेवाओं को शामिल नहीं करता। CPI महंगाई लक्ष्य निर्धारण और मौद्रिक नीति के लिए अधिक उपयोगी है, जबकि WPI उद्योग और व्यापार नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।
Q2. मई 2025 में WPI आधारित महंगाई दर 0.39% पर आने के कारण क्या थे?
उत्तर:
मई 2025 में WPI आधारित महंगाई दर में गिरावट के प्रमुख कारण थे:
- खनिज (-7.16%) की कीमतों में भारी गिरावट।
- खनिज तेल (-2.06%) की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरने से सस्ती हुईं।
- गैर-खाद्य वस्तुओं (-0.63%) की कीमतें मांग में कमी और बेहतर आपूर्ति के कारण घटीं।
हालांकि, खाद्य वस्तुओं (0.56%), कोयला (0.81%), और बिजली (0.80%) की कीमतों में बढ़ोतरी ने आंशिक रूप से संतुलन बनाया।
Q3. भारत में आर्थिक नीतियों पर WPI रुझान का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
WPI रुझान सरकार और RBI की आर्थिक नीति के निर्णयों को प्रभावित करते हैं। जब थोक महंगाई दर कम होती है, तो सरकार और केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
इसके अलावा, WPI रुझान सब्सिडी नीति, आयात-निर्यात शुल्क और आवश्यक वस्तुओं पर मूल्य नियंत्रण निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
Q4. WPI आधारित महंगाई दर औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्रों को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर:
WPI आधारित महंगाई दर से कच्चे माल की लागत प्रभावित होती है। यदि महंगाई दर कम रहती है तो इनपुट लागत स्थिर रहती है और उद्योगों को उत्पादन बढ़ाने तथा प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उत्पाद बेचने में मदद मिलती है।
मई 2025 में खनिज और खनिज तेल की कीमतों में गिरावट ने इनपुट लागत घटाई, जबकि बिजली और कोयले की बढ़ती कीमतों ने ऊर्जा-आधारित उद्योगों की लागत पर हल्का दबाव डाला।