
मुख्य बिंदु (SSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए उपयोगी)
- योजना की शुरुआत: Scheme to Promote Manufacturing of Electric Passenger Cars in India (SPMEPCI) — 15 मार्च 2024 को अधिसूचित।
- पोर्टल चालू: आवेदन 24 जून से 21 अक्टूबर 2025 तक (आवश्यकता अनुसार 15 मार्च 2026 तक फिर से खोला जा सकता है)।
- आयात शुल्क में छूट: USD 35,000 या उससे अधिक मूल्य की कारों पर आयात शुल्क 15% (पहले 70–100%) कर दिया गया है।
- न्यूनतम निवेश: ₹4,150 करोड़ की प्रतिबद्धता, 3 वर्षों के भीतर स्थानीय निर्माण इकाई शुरू करनी होगी।
- स्थानीय मूल्य संवर्धन (DVA): 3 वर्षों में 25% और 5 वर्षों में 50% DVA अनिवार्य।
- पात्रता: वैश्विक ऑटोमोटिव कारोबार ₹10,000 करोड़ से अधिक और ₹3,000 करोड़ की फिक्स्ड एसेट्स होनी चाहिए।
- सुरक्षा गारंटी: जितना शुल्क सरकार माफ कर रही है या ₹4,150 करोड़ (जो अधिक हो) का बैंक गारंटी देना अनिवार्य।
- आवेदन शुल्क: ₹5 लाख (गैर-वापसी योग्य)।
- टेस्ला की स्थिति: केवल शोरूम खोलने में रुचि, निर्माण में नहीं।
- सीमा साझा देशों पर प्रतिबंध: पाकिस्तान और चीन जैसे देशों पर निवेश प्रतिबंध जारी रहेगा।
विस्तृत जानकारी
भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए SPMEPCI योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य Make in India और हरित अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
- आयात शुल्क में रियायत: USD 35,000 या उससे अधिक की लागत वाली इलेक्ट्रिक कारों को 15% आयात शुल्क पर सालाना 8,000 यूनिट तक आयात की अनुमति दी गई है (पहले 70–100%)। यह रियायत अधिकतम 5 वर्षों तक दी जाएगी।
- स्थानीय निवेश: कंपनी को ₹4,150 करोड़ का निवेश करना होगा, जिसमें नई मशीनरी, उपकरण, R&D और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (5% तक) शामिल हैं। ज़मीन पर किया गया खर्च मान्य नहीं होगा, परन्तु भवन खर्च 10% तक स्वीकार्य होगा।
- घरेलू मूल्य संवर्धन: आवेदन स्वीकृति के 3 साल में 25% और 5 साल में 50% DVA अनिवार्य होगा।
- राजस्व और परिसंपत्ति मानदंड: आवेदन करने वाली कंपनी या उसकी समूह कंपनियों की वैश्विक ऑटोमोटिव राजस्व ₹10,000 करोड़ और ₹3,000 करोड़ की फिक्स्ड एसेट्स होनी चाहिए।
- गारंटी और फीस: ₹5 लाख आवेदन शुल्क और एक बैंक गारंटी (₹4,150 करोड़ या शुल्क छूट के बराबर, जो अधिक हो) आवश्यक है।
- ऑपरेशन की समय सीमा: निर्माण कार्य 3 साल के भीतर शुरू होना चाहिए।
- टेस्ला की भूमिका: केवल शोरूम खोलने में रुचि है, भारत में निर्माण करने में नहीं।
- रणनीतिक उद्देश्य: विदेशी निवेश को आकर्षित कर तकनीक स्थानांतरण, रोजगार सृजन और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देना।
- सीमा वाले देशों पर रोक: पाकिस्तान, चीन जैसे देशों के लिए निवेश नियम यथावत रहेंगे।
परीक्षा उपयोगी संगठन और राज्य से संबंधित जानकारी
Heavy Industries Ministry (भारी उद्योग मंत्रालय):
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- भूमिका: ऑटोमोबाइल, भारी उपकरण, रक्षा निर्माण को बढ़ावा देना।
- प्रमुख योजनाएं:
- PLI – Auto: ₹25,938 करोड़ का प्रोत्साहन (सितंबर 2021)।
- PLI – ACC: ₹18,100 करोड़ की योजना (मई 2021), 50 GWh बैटरी उत्पादन लक्ष्य।
संभावित MCQs
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से SPMEPCI योजना की अनिवार्य शर्तें हैं?
A. सालाना 8,000 EV आयात करने की अनुमति
B. 3 वर्षों में ₹4,150 करोड़ का निवेश
C. 4 वर्षों में 30% घरेलू मूल्य संवर्धन
D. शुल्क छूट के बराबर या ₹4,150 करोड़ की बैंक गारंटी
विकल्प:
- A, B, D
- A, C, D
- B, C, D
- सभी उपरोक्त
उत्तर: 1
UPSC स्टाइल FAQs (उत्तर लिखने की UPSC शैली में)
Q1. SPMEPCI योजना का उद्देश्य क्या है और यह भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं से कैसे जुड़ी है?
उत्तर: योजना का उद्देश्य वैश्विक EV निर्माताओं को भारत में निवेश के लिए आकर्षित कर घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है। यह योजना भारत के नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य (2070) और हरित ऊर्जा ट्रांज़िशन से सीधा जुड़ा है। स्थानीय रोजगार, तकनीकी स्थानांतरण और प्रदूषण नियंत्रण के साथ यह नीति आर्थिक और पर्यावरणीय लक्ष्यों को संतुलित करती है।
Q2. इस योजना में पात्रता की मुख्य शर्तें और घरेलू मूल्य संवर्धन की समयसीमा क्या है?
उत्तर: आवेदन करने वाली कंपनी या समूह की वैश्विक ऑटोमोटिव आय ₹10,000 करोड़ और फिक्स्ड एसेट्स ₹3,000 करोड़ होनी चाहिए। आवेदन स्वीकृति के बाद 3 वर्षों में ₹4,150 करोड़ का निवेश करना अनिवार्य है। साथ ही, 3 साल में 25% और 5 साल में 50% DVA पूरा करना होगा। अनुपालन की निगरानी के लिए बैंक गारंटी अनिवार्य है।
Q3. भारत सरकार ने SPMEPCI योजना के तहत आयात शुल्क में छूट और निर्माण शर्तों में किस प्रकार संतुलन साधा है?
उत्तर: योजना के तहत दी गई शुल्क रियायतें केवल उन कंपनियों को दी जाएंगी जो भारत में स्थानीय निर्माण इकाई स्थापित करेंगी और समयबद्ध निवेश करेंगी। इस प्रकार, यह नीति विदेशी कंपनियों को भारत लाकर तकनीकी, आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास को गति देती है। DVA की अनिवार्यता और राजस्व लक्ष्यों से यह सुनिश्चित होता है कि लाभ केवल प्रतिबद्ध कंपनियों को ही मिले।