
SSC/UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने कोल्हापुर में बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया।
- वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंचेस: मुंबई (मुख्य बेंच), नागपुर, गोवा, और औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर)।
- गवई का बयान: “न्याय देश के हर कोने तक पहुँचना चाहिए।”
- प्रस्तावित क्षेत्र: पश्चिमी महाराष्ट्र।
- इससे क्षेत्रीय न्यायिक पहुँच में सुधार, मामलों के निपटान में तेजी, और लागत में कमी हो सकती है।
- यह कदम भारत की न्यायिक ढांचे को विकेन्द्रीकृत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
विस्तृत जानकारी
परिचय
भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने 26 जून को छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में एक कार्यक्रम के दौरान कोल्हापुर में बॉम्बे हाईकोर्ट की एक नई बेंच स्थापित करने की माँग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि न्याय देश के हर कोने तक पहुँचना चाहिए और सभी नागरिकों के लिए सुलभ होना चाहिए।
बॉम्बे हाईकोर्ट की वर्तमान स्थिति
भारत के प्रमुख उच्च न्यायालयों में से एक, बॉम्बे हाईकोर्ट, इस समय निम्नलिखित स्थानों पर कार्य कर रहा है:
- मुख्य बेंच: मुंबई
- सर्किट बेंचेस: औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर), नागपुर, गोवा
हालाँकि, पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली, सतारा जैसे जिलों को अभी तक हाईकोर्ट बेंच की सीधी पहुँच प्राप्त नहीं है। कोल्हापुर में नई बेंच स्थापित करने से स्थानीय लोगों को न्यायिक सेवाओं का तेज और किफायती लाभ मिलेगा।
CJI गवई का वक्तव्य
उन्होंने कहा – “Justice must reach every citizen, in every corner.”
यह भारत की न्यायिक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है, जो न्याय तक आसान पहुँच और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।
कोल्हापुर क्यों?
- पश्चिमी महाराष्ट्र का प्रमुख सांस्कृतिक और प्रशासनिक केंद्र
- लोगों को लंबी दूरी तय करने की आवश्यकता नहीं रहेगी
- अन्य बेंचों का बोझ कम होगा
- न्यायिक कार्यों में तेजी आएगी
राज्य प्रोफाइल: महाराष्ट्र
- राजधानी: मुंबई
- मुख्यमंत्री: एकनाथ शिंदे
- राज्यपाल: रमेश बैस
- मुख्य नदियाँ: गोदावरी, कृष्णा, भीमा
- प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान: ताडोबा, संजय गांधी, नवगांव
- प्रमुख शहर: मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक, कोल्हापुर
- लोकसभा सीटें: 48
MCQs (परीक्षा-प्रश्न)
1. हाल ही में CJI बी. आर. गवई ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नई बेंच की स्थापना किस शहर में करने की मांग का समर्थन किया?
A. पुणे
B. नागपुर
C. कोल्हापुर
D. नासिक
उत्तर: C. कोल्हापुर
2. निम्न में से किस शहर में वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच नहीं है?
A. औरंगाबाद
B. गोवा
C. कोल्हापुर
D. नागपुर
उत्तर: C. कोल्हापुर
3. जून 2025 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश कौन हैं?
A. डी. वाई. चंद्रचूड़
B. यू. यू. ललित
C. रंजन गोगोई
D. बी. आर. गवई
उत्तर: D. बी. आर. गवई
4. CJI गवई ने कोल्हापुर बेंच की मांग का समर्थन कहाँ पर किया?
A. मुंबई
B. गोवा
C. छत्रपति संभाजीनगर
D. पुणे
उत्तर: C. छत्रपति संभाजीनगर
UPSC-स्टाइल FAQs (उत्तर लेखन प्रारूप में)
Q1. भारत में नए हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने का महत्व क्या है?
उत्तर:
भारत में नए हाईकोर्ट बेंच की स्थापना न्याय सुलभता बढ़ाने के उद्देश्य से की जाती है। भारत की न्यायिक प्रणाली में लंबित मामलों की संख्या अधिक है, और ग्रामीण या दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को न्याय के लिए लंबी यात्रा करनी पड़ती है। कोल्हापुर जैसे क्षेत्रों में बेंच की स्थापना से:
- न्यायिक विकेंद्रीकरण होता है
- मामलों के निपटान में तेजी आती है
- लोगों को आर्थिक रूप से राहत मिलती है
- संविधान के अनुच्छेद 39A (न्याय की समानता और नि:शुल्क विधिक सहायता) को बल मिलता है
यह कदम न्याय के क्षेत्र में समावेशी विकास को दर्शाता है।
Q2. न्यायिक प्रणाली कैसे देश के हर कोने तक न्याय पहुँचाती है?
उत्तर:
भारतीय न्याय प्रणाली द्वारा न्यायिक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जाते हैं:
- सर्किट और स्थायी बेंचों की स्थापना
- ई-कोर्ट और वर्चुअल सुनवाई का विस्तार
- ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल कोर्ट
- NALSA के तहत नि:शुल्क विधिक सहायता
- स्थानीय भाषाओं में न्यायिक कार्य
CJI गवई का कोल्हापुर बेंच का समर्थन इन सभी प्रयासों को और मजबूती देता है।
Q3. नई हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने में क्या चुनौतियाँ हो सकती हैं?
उत्तर:
- वित्तीय और अवसंरचनात्मक आवश्यकताएँ
- अन्य बेंचों या अधिवक्ताओं की आपत्ति
- केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय
- स्थानीय अधोसंरचना की कमी
हालांकि, दीर्घकालिक दृष्टि से यह न्याय प्रणाली की कुशलता और न्यायिक पहुँच को बढ़ाता है।
Q4. यह विकास संविधान की न्यायिक दृष्टि से कैसे मेल खाता है?
उत्तर:
यह प्रस्ताव राज्य की नीति निदेशक सिद्धांतों विशेष रूप से:
- अनुच्छेद 39A (समान न्याय और नि:शुल्क विधिक सहायता)
- अनुच्छेद 38 (सामाजिक न्याय की प्राप्ति)
से मेल खाता है।
न्यायालयों को अधिक व्यापक और क्षेत्रीय बनाकर, सरकार और न्यायपालिका संविधान में निहित समावेशी और लोकतांत्रिक न्याय प्रणाली के सपने को साकार कर रही है।