SSC, UPSC और अन्य परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • KATRIN (जर्मनी) ने इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो के द्रव्यमान की अब तक की सबसे सटीक ऊपरी सीमा तय की।
  • न्यूट्रिनो का द्रव्यमान अब 0.2 eV से कम मापा गया है।
  • न्यूट्रिनो आवेश रहित, लगभग द्रव्यमान रहित कण होते हैं जो पदार्थ से बहुत कम संपर्क करते हैं।
  • न्यूट्रिनो का फ्लेवर बदलना (ऑस्सीलेशन) उनके गैर-शून्य द्रव्यमान को दर्शाता है, जो स्टैंडर्ड मॉडल को चुनौती देता है।
  • भारत का INO प्रोजेक्ट (तमिलनाडु) न्यूट्रिनो अनुसंधान में एक वैश्विक स्तर की पहल है।
  • भारत ने 1965 में कोलार गोल्ड फील्ड्स में सबसे पहले वायुमंडलीय न्यूट्रिनो का पता लगाया।
  • KATRIN प्रयोग में ट्रिटियम बीटा क्षय का उपयोग किया जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा का मापन किया जाता है।

KATRIN प्रयोग – न्यूट्रिनो विज्ञान में क्रांतिकारी बदलाव

KATRIN प्रयोग क्या है?

Karlsruhe Tritium Neutrino (KATRIN) प्रयोग एक प्रमुख वैज्ञानिक परियोजना है जो जर्मनी के Karlsruhe Institute of Technology में स्थित है। इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉन एंटी-न्यूट्रिनो के सटीक द्रव्यमान को मापना है।

  • शुरुआत: 2018
  • डेटा संग्रह: 2019 से शुरू
  • 2025 में हालिया परिणाम: 259 दिनों के डेटा पर आधारित

यह प्रयोग ट्रिटियम बीटा क्षय की प्रक्रिया का अध्ययन करता है, जिसमें ट्रिटियम हीलियम, इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रिनो में टूटता है। इसमें ऐसे इलेक्ट्रॉनों का विश्लेषण किया जाता है जिनकी ऊर्जा एंडपॉइंट के करीब होती है — यही न्यूट्रिनो द्रव्यमान से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।


न्यूट्रिनो क्या होते हैं?

  • आवेश रहित उपपरमाण्विक कण, जिनका द्रव्यमान अत्यंत कम होता है।
  • तीन प्रकारों में होते हैं: इलेक्ट्रॉन, म्यूऑन और टाऊ न्यूट्रिनो
  • नाभिकीय अभिक्रियाओं (जैसे सूरज, रिएक्टर या सुपरनोवा में) में बनते हैं।
  • प्रकाश की गति के करीब यात्रा करते हैं और पदार्थ से लगभग कोई संपर्क नहीं करते।
  • फ्लेवर बदलने (ऑस्सीलेशन) की क्षमता उनके द्रव्यमान के अस्तित्व का प्रमाण देती है।
  • न्यूट्रिनो का व्यवहार स्टैंडर्ड मॉडल को चुनौती देता है, और यह दर्शाता है कि ब्रह्मांड में कुछ और अज्ञात बल या कण हो सकते हैं।

KATRIN न्यूट्रिनो द्रव्यमान कैसे मापता है?

वैज्ञानिक प्रक्रिया

  • KATRIN एक विलंबित विद्युत क्षेत्र (retarding electric field) के माध्यम से केवल उच्च-ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों को मापता है।
  • ये इलेक्ट्रॉन तब उत्पन्न होते हैं जब ट्रिटियम क्षय होकर हीलियम, इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रिनो बनाता है
  • लाखों बीटा क्षय घटनाओं का विश्लेषण करके, KATRIN न्यूट्रिनो द्रव्यमान की ऊपरी सीमा को 0.2 eV से नीचे निर्धारित करता है।

न्यूट्रिनो अनुसंधान में भारत की भूमिका

प्रारंभिक उपलब्धियाँ

  • भारत ने 1965 में कोलार गोल्ड फील्ड्स में वायुमंडलीय न्यूट्रिनो का पहला सफल पता लगाया, जो वैश्विक स्तर पर एक मील का पत्थर था।

INO परियोजना

  • तमिलनाडु में निर्माणाधीन, यह परियोजना भारत को न्यूट्रिनो अनुसंधान में अग्रणी बनाएगी।
  • इसमें Iron Calorimeter (ICAL) नामक डिटेक्टर होगा, जो विश्व का सबसे बड़ा चुम्बकीय डिटेक्टर होगा (50,000 टन)।
  • इसका उद्देश्य हाई-एनर्जी फिजिक्स में अनुसंधान को बढ़ावा देना, वैज्ञानिक प्रशिक्षण देना और मेडिकल इमेजिंग व इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में तकनीकी उपयोग सुनिश्चित करना है।
  • INO वैश्विक प्रयोगों जैसे IceCube (अंटार्कटिका) और KATRIN (जर्मनी) का एक पूरक प्रयास है।

संबंधित स्थानों और संगठनों की जानकारी

जर्मनी

  • राजधानी: बर्लिन
  • मुद्रा: यूरो (€)
  • प्रमुख शोध संस्थान: Karlsruhe Institute of Technology

तमिलनाडु (भारत)

  • राजधानी: चेन्नई
  • मुख्यमंत्री: एम. के. स्टालिन (2025 तक)
  • मुख्य नदियाँ: कावेरी, वैगई
  • राष्ट्रीय उद्यान: मुदुमलाई, गिन्डी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान
  • महत्वपूर्ण परियोजना: India-based Neutrino Observatory (INO)

इस विषय पर संभावित MCQ

प्रश्न 1: KATRIN प्रयोग का मुख्य उद्देश्य क्या है?

(a) गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाना
(b) सौर ज्वालाओं का विश्लेषण
(c) न्यूट्रिनो का द्रव्यमान मापना
(d) गामा किरणों का अवलोकन
सही उत्तर: (c)


प्रश्न 2: भारत में वायुमंडलीय न्यूट्रिनो की पहली खोज कहाँ हुई थी?

(a) बार्क, मुंबई
(b) कोलार गोल्ड फील्ड्स
(c) इसरो, बेंगलुरु
(d) INO, तमिलनाडु
सही उत्तर: (b)


प्रश्न 3: KATRIN प्रयोग किस सिद्धांत पर आधारित है?

(a) न्यूट्रॉन क्षय
(b) म्यूऑन ऑस्सीलेशन
(c) ट्रिटियम बीटा क्षय
(d) हिग्स बोसॉन इंटरैक्शन
सही उत्तर: (c)


प्रश्न 4: न्यूट्रिनो के बारे में कौन सा कथन गलत है?

(a) उनका कोई द्रव्यमान नहीं होता
(b) वे विभिन्न फ्लेवर में बदल सकते हैं
(c) वे लगभग प्रकाश की गति से यात्रा करते हैं
(d) वे नाभिकीय अभिक्रियाओं में बनते हैं
सही उत्तर: (a)


UPSC शैली में FAQs और उत्तर

प्रश्न 1: न्यूट्रिनो क्या होते हैं और यह कण भौतिकी में क्यों महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर:
न्यूट्रिनो एक प्रकार के उपपरमाण्विक कण होते हैं जो विद्युत आवेश रहित होते हैं और जिनका द्रव्यमान अत्यंत कम होता है। ये नाभिकीय अभिक्रियाओं, जैसे बीटा क्षय, में उत्पन्न होते हैं। न्यूट्रिनो तीन प्रकारों में आते हैं और इनकी विशेषता है कि वे एक प्रकार से दूसरे में परिवर्तित हो सकते हैं जिसे ऑस्सीलेशन कहा जाता है। यह व्यवहार इस बात का प्रमाण है कि उनका द्रव्यमान शून्य नहीं है, जिससे स्टैंडर्ड मॉडल की सीमाओं का पता चलता है। न्यूट्रिनो ब्रह्मांड की संरचना, डार्क मैटर और मूल कणों की प्रकृति को समझने में सहायक होते हैं।


प्रश्न 2: न्यूट्रिनो अध्ययन में KATRIN प्रयोग का क्या महत्व है?

उत्तर:
KATRIN प्रयोग न्यूट्रिनो के अध्ययन में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसने इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो के द्रव्यमान की अब तक की सबसे सटीक सीमा निर्धारित की है (0.2 eV से कम)। यह प्रयोग ट्रिटियम बीटा क्षय से प्राप्त इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा का सूक्ष्मता से विश्लेषण करता है, खासकर उन इलेक्ट्रॉनों का जो अधिकतम ऊर्जा सीमा के पास होते हैं। KATRIN का निष्कर्ष ब्रह्मांड की उत्पत्ति, डार्क मैटर और न्यूट्रिनो की भूमिका को समझने में मदद करता है। यह स्टैंडर्ड मॉडल से परे नए सिद्धांतों की दिशा में मार्गदर्शन करता है।


प्रश्न 3: भारत के न्यूट्रिनो अनुसंधान में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर:
भारत ने न्यूट्रिनो अनुसंधान में एक ऐतिहासिक शुरुआत की थी, जब 1965 में कोलार गोल्ड फील्ड्स में वायुमंडलीय न्यूट्रिनो का पहली बार पता लगाया गया। वर्तमान में, भारत तमिलनाडु में India-based Neutrino Observatory (INO) का निर्माण कर रहा है, जो वैश्विक स्तर पर न्यूट्रिनो विज्ञान में भारत की भूमिका को और सुदृढ़ करेगा। इसमें स्थापित किया जाने वाला Iron Calorimeter (ICAL) दुनिया का सबसे बड़ा चुम्बकीय डिटेक्टर होगा। यह परियोजना न केवल मूलभूत अनुसंधान को बढ़ावा देगी बल्कि विज्ञान व प्रौद्योगिकी में भारत की स्थिति को भी मज़बूत करेगी। यह वैश्विक परियोजनाओं जैसे IceCube और KATRIN का पूरक बनकर उभरेगी।