SSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • टिपिंग पॉइंट: अंटार्कटिक आइस शीट एक ऐसी स्थिति के करीब है जहाँ इसका पिघलना अपरिवर्तनीय हो सकता है।
  • हिस्टीरिसिस प्रभाव: तापमान कम होने पर भी बर्फ का पिघलना जारी रहता है
  • प्रभाव: केवल 0.25°C समुद्री तापमान वृद्धि से 4 मीटर तक समुद्र स्तर बढ़ सकता है।
  • शोध संस्थान: NORCE Research, Northumbria University, और Potsdam University ने अध्ययन किया।
  • समय सीमा: जहाँ बर्फ की परतें सामान्यतः हजारों वर्षों में प्रतिक्रिया देती हैं, वहां यह बदलाव सिर्फ 40 वर्षों में देखा गया है।
  • परिणाम: दुनिया भर के तटीय शहरों में बाढ़ का खतरा
  • समाधान: ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करके स्थिति को सुधारा जा सकता है।

अंटार्कटिक आइस शीट: जलवायु संकट की चेतावनी

नवीनतम शोधों से यह स्पष्ट हुआ है कि अंटार्कटिक आइस शीट एक ऐसे बिंदु के करीब है जहां से इसके पिघलने की प्रक्रिया को रोकना लगभग असंभव हो सकता है। इस प्रक्रिया को हिस्टीरिसिस (Hysteresis) कहा जाता है, और यह बताता है कि बर्फ का पिघलना तापमान कम होने के बाद भी जारी रह सकता है


हिस्टीरिसिस क्या है?

हिस्टीरिसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोई प्रणाली परिस्थितियाँ सामान्य हो जाने पर भी अपनी मूल स्थिति में वापस नहीं लौटती। आइस शीट के संदर्भ में, एक निर्धारित तापमान सीमा पार हो जाने के बाद, बर्फ का पिघलना स्वतः चलता रहता है, चाहे तापमान बाद में कम हो जाए।


किसने किया यह अध्ययन?

यह अध्ययन निम्नलिखित संस्थानों द्वारा किया गया:

  • NORCE Research (नॉर्वे)
  • Northumbria University (UK)
  • Potsdam Institute for Climate Impact Research (Germany)

उन्होंने पिछले 8 लाख वर्षों के जलवायु चक्रों का अध्ययन करने के लिए कंप्यूटर सिमुलेशन मॉडल का उपयोग किया।


समुद्री तापमान की भूमिका

शोध में यह सामने आया कि यदि समुद्र का तापमान 0.25°C भी बढ़ता है, तो इससे अंटार्कटिक बर्फ की चादर पिघल सकती है, जिससे 4 मीटर तक समुद्र का स्तर बढ़ सकता है। इसका प्रभाव तटीय क्षेत्रों, पारिस्थितिकी तंत्र और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी होगा।


यह इतना जरूरी क्यों है?

जहां सामान्यतः बर्फ की चादरें हजारों वर्षों में प्रतिक्रिया देती हैं, वहीं अंटार्कटिक की बर्फ केवल 40 वर्षों में तेजी से पिघल रही है। यह असामान्य परिवर्तन बेहद गंभीर संकेत देता है।


समाधान क्या है?

शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि अभी से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोका जाए, तो बर्फ की परतों को आगे पिघलने से रोका जा सकता है। लेकिन समय बहुत कम बचा है, इसलिए तत्काल कार्रवाई आवश्यक है।


भविष्य की तस्वीर

यदि यह टिपिंग पॉइंट पार हो गया, तो आइस शीट को वापस लाने में हजारों वर्ष लग सकते हैं, वो भी तब जब हम औद्योगिक क्रांति से पहले वाला तापमान बनाए रखें। इससे यह स्पष्ट होता है कि आज लिए गए निर्णयों का प्रभाव भविष्य की कई पीढ़ियों पर पड़ेगा


परीक्षा विशेष: संबंधित संस्थानों की जानकारी

Potsdam Institute for Climate Impact Research (PIK), जर्मनी

  • स्थापना: 1992
  • स्थान: पोट्सडैम, ब्रैंडनबर्ग, जर्मनी
  • मुख्य कार्य: जलवायु विज्ञान, पृथ्वी प्रणाली विश्लेषण, स्थिरता

Northumbria University, UK

  • स्थान: न्यूकैसल, इंग्लैंड
  • स्थापना: 1969
  • प्रसिद्ध: अंटार्कटिक और आर्कटिक अनुसंधान

NORCE Research, नॉर्वे

  • स्थान: बर्गन, नॉर्वे
  • क्षेत्र: ऊर्जा, जलवायु, समाज
  • उद्देश्य: सामाजिक समाधान के लिए अनुप्रयुक्त अनुसंधान

इस टॉपिक पर संभावित MCQ

Q1. वह प्रक्रिया जिसमें कोई प्रणाली परिस्थितियाँ सामान्य होने पर भी अपनी प्रारंभिक स्थिति में नहीं लौटती, उसे क्या कहते हैं?
A. एंट्रॉपी
B. रिग्रेशन
C. हिस्टीरिसिस
D. इनर्शिया
उत्तर: C. हिस्टीरिसिस


Q2. अगर अंटार्कटिक आइस शीट पिघलती रही, तो समुद्र का स्तर अधिकतम कितने मीटर तक बढ़ सकता है?
A. 1 मीटर
B. 2 मीटर
C. 3 मीटर
D. 4 मीटर
उत्तर: D. 4 मीटर


Q3. निम्नलिखित में से किस संस्थान ने अंटार्कटिक आइस शीट के अध्ययन में भाग नहीं लिया?
A. NORCE Research
B. Northumbria University
C. Indian Institute of Science
D. Potsdam University
उत्तर: C. Indian Institute of Science


Q4. बर्फ के तेजी से पिघलने की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए समुद्री तापमान में न्यूनतम कितनी वृद्धि खतरनाक मानी गई है?
A. 0.10°C
B. 0.25°C
C. 1.0°C
D. 2.5°C
उत्तर: B. 0.25°C


Q5. वर्तमान में अंटार्कटिक बर्फ के पिघलने का अवलोकन कितने वर्षों में किया गया है?
A. 400 वर्ष
B. 80 वर्ष
C. 40 वर्ष
D. 100 वर्ष
उत्तर: C. 40 वर्ष