
SSC, UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए मुख्य बिंदु
- पुस्तक विमोचन: The Emergency Diaries का लोकार्पण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया गया।
- विषय: प्रधानमंत्री मोदी की आपातकाल के दौरान युवा RSS प्रचारक के रूप में भूमिका।
- प्रसंग: 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा की गई थी।
- दावा: उस समय भारत एक जेल में बदल गया था; नागरिक स्वतंत्रताएं निलंबित कर दी गई थीं।
- मुख्य तथ्य: पत्रकारों की गिरफ्तारी, मीडिया सेंसरशिप, जबरन नसबंदी, विपक्षी नेताओं की जेल में बंदी।
- महत्व: लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- आपातकाल की अवधि: 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक।
- प्रमुख टिप्पणी: “आपातकाल भारतीय इतिहास का एक अंधकारमय अध्याय था।”
पूर्ण विवरण
‘The Emergency Diaries’ क्या है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने The Emergency Diaries नामक पुस्तक का विमोचन किया। यह किताब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आपातकाल के दौरान की भूमिका को रेखांकित करती है, जब वे एक युवा RSS प्रचारक थे।
आपातकाल क्या था?
- इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति के नाम पर घोषित किया था।
- इसके दौरान नागरिक अधिकार निलंबित, प्रेस पर सेंसरशिप, और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी जैसे कदम उठाए गए।
- संविधान को दरकिनार कर दिया गया और मौलिक अधिकार समाप्त कर दिए गए।
किताब में मोदी की भूमिका
- मोदी उस समय RSS प्रचारक थे और उन्होंने आपातकाल विरोधी आंदोलनों में भाग लिया।
- यह पुस्तक उनके सहयोगियों की प्रत्यक्ष अनुभवों और आर्काइव रिकॉर्ड्स पर आधारित है।
- मोदी ने इसे लोकतंत्र के लिए संघर्ष और राजनीतिक शिक्षा का समय बताया।
अमित शाह की प्रमुख टिप्पणियाँ
- “आपातकाल के दौरान भारत एक जेल जैसा बन गया था।”
- उस दौर में गीतों पर प्रतिबंध, नेताओं की गिरफ्तारी और जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर जबरन नसबंदी की गई।
- इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर झूठ बोला और सत्ता बनाए रखने के लिए लोकतंत्र का गला घोंट दिया।
प्रधानमंत्री मोदी की सोशल मीडिया पोस्ट का सारांश
- उन्होंने आपातकाल को लोकतंत्र का सबसे अंधकारमय दौर बताया।
- उन्होंने कहा कि वह समय उनके लिए शिक्षाप्रद और संघर्षमय था।
- उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा को सबसे बड़ा अनुभव बताया।
आपातकाल से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य (1975–1977)
- अवधि: 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977
- घोषणा किसने की: इंदिरा गांधी
- संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 352 (आंतरिक संकट)
- घोषित कारण: आंतरिक अशांति
- वास्तविक कारण (आलोचकों के अनुसार): न्यायालय के फैसले के बाद सत्ता बचाने की कोशिश
- प्रमुख कार्य:
- चुनावों का निलंबन
- मीडिया पर सेंसरशिप
- विपक्ष की गिरफ्तारी
- संजय गांधी द्वारा जबरन नसबंदी अभियान
संबंधित व्यक्तित्व व संगठनों की जानकारी
इंदिरा गांधी
- पद: तत्कालीन प्रधानमंत्री (आपातकाल के समय)
- राजनीतिक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
नरेंद्र मोदी
- आपातकाल के दौरान भूमिका: RSS प्रचारक
- वर्तमान पद (2025 तक): भारत के प्रधानमंत्री
RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)
- प्रकार: सामाजिक-राष्ट्रवादी संगठन
- स्थापना: 1925
- उद्देश्य: भारतीय संस्कृति पर आधारित सामाजिक व नैतिक विकास
MCQ प्रश्न (परीक्षा की दृष्टि से संभावित)
Q1. जून 2025 में ‘The Emergency Diaries’ पुस्तक किसने जारी की?
A. नरेंद्र मोदी
B. राजनाथ सिंह
C. अमित शाह
D. जेपी नड्डा
उत्तर: C. अमित शाह
Q2. भारत में आपातकाल किस अवधि में लागू रहा था?
A. 1973–1975
B. 1975–1977
C. 1980–1982
D. 1974–1976
उत्तर: B. 1975–1977
Q3. 1975 में घोषित आपातकाल के लिए संविधान का कौन-सा अनुच्छेद उपयोग में लिया गया?
A. अनुच्छेद 356
B. अनुच्छेद 360
C. अनुच्छेद 352
D. अनुच्छेद 368
उत्तर: C. अनुच्छेद 352
Q4. आपातकाल के दौरान नसबंदी अभियान का नेतृत्व किसने किया था?
A. इंदिरा गांधी
B. संजय गांधी
C. मोरारजी देसाई
D. चरण सिंह
उत्तर: B. संजय गांधी
Q5. ‘The Emergency Diaries’ के अनुसार, आपातकाल के समय नरेंद्र मोदी की भूमिका क्या थी?
A. कानून के छात्र
B. कांग्रेस कार्यकर्ता
C. युवा RSS प्रचारक
D. पुलिस अधिकारी
उत्तर: C. युवा RSS प्रचारक
UPSC-शैली के FAQs और उत्तर
Q1. भारत में 1975 में लगाए गए आपातकाल के संवैधानिक और राजनीतिक प्रभाव क्या थे?
उत्तर:
आपातकाल ने भारत के संविधान और लोकतंत्र की नींव को झकझोर कर रख दिया। मौलिक अधिकारों को निलंबित किया गया, न्यायपालिका की स्वतंत्रता को चुनौती दी गई (ADM जबलपुर केस), और संविधान की धारा 352 का दुरुपयोग हुआ। राजनीतिक रूप से, इसने विपक्ष को एकजुट किया और 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार हुई। इसके बाद 44वां संविधान संशोधन लाया गया जिससे भविष्य में आपातकाल की प्रक्रिया को कठिन बनाया गया।
Q2. आपातकाल के दौरान सिविल सोसाइटी और विपक्षी दलों की क्या भूमिका रही?
उत्तर:
आपातकाल के दौरान विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने लोकतंत्र की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाई। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई जैसे नेता जेल गए। RSS और अन्य संगठन भूमिगत होकर कार्यरत रहे और साहित्य वितरण, रैली, आंदोलन को जारी रखा। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की जीत ने इस आंदोलन को राजनीतिक सफलता दिलाई।
Q3. आपातकाल से भारत के लोकतंत्र को क्या सबक मिले?
उत्तर:
आपातकाल ने दिखाया कि लोकतंत्र कितना नाजुक होता है। इससे सीखा गया कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की रक्षा अत्यंत आवश्यक है। 44वें संशोधन ने आपातकाल के प्रावधानों को सीमित किया। यह घटना आज भी हमें सतर्क रहने और लोकतंत्र को सशक्त बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
Q4. हाल ही में प्रकाशित पुस्तकों के अनुसार, आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी की क्या भूमिका रही?
उत्तर:
The Emergency Diaries के अनुसार, नरेंद्र मोदी उस समय RSS के एक प्रचारक थे और उन्होंने भूमिगत आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने विरोध पत्रक वितरित किए, कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन दिया और लोकतंत्र की रक्षा में भूमिका निभाई। यह अनुभव उनके राजनीतिक जीवन की दिशा तय करने वाला रहा।