
SSC/UPSC व अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- दुनिया का 48वां रक्त समूह प्रणाली आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त हुआ।
- इसका नाम “Gwada Negative” रखा गया है, जो रोगी के ग्वाडेलूप (Guadeloupe) से जुड़ाव को दर्शाता है।
- खोज फ्रेंच ब्लड एस्टैब्लिशमेंट (EFS) ने की और इसे इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ISBT) ने मान्यता दी।
- रोगी: ग्वाडेलूप की 54 वर्षीय महिला, जो पेरिस में रहती हैं।
- खोज संभव हुई उन्नत डीएनए सीक्वेंसिंग तकनीक की मदद से।
- यह महिला दुनिया की एकमात्र व्यक्ति है, जो खुद के रक्त से ही संगत है।
- यह खोज आधुनिक चिकित्सा और आनुवंशिक अनुसंधान में बड़ी प्रगति को दर्शाती है।
- ABO प्रणाली की खोज 1900 के दशक की शुरुआत में हुई थी; अब यह 47 के बाद पहली नई प्रणाली है।
पूर्ण ब्लॉग: नया रक्त समूह “Gwada Negative” की खोज
परिचय
चिकित्सा विज्ञान में एक ऐतिहासिक खोज हुई है, जिसमें फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने दुनिया की 48वीं रक्त समूह प्रणाली — “Gwada Negative” — की पहचान की है। यह रक्त समूह एक महिला में पाया गया है जो कैरिबियन द्वीप ग्वाडेलूप (Guadeloupe) से संबंधित हैं और वर्तमान में पेरिस में रहती हैं। यह खोज वैश्विक रूप से रक्त संक्रमण और आनुवंशिकी विज्ञान के लिए मील का पत्थर मानी जा रही है।
खोज की प्रक्रिया
2011 में, जब महिला सर्जरी से पहले सामान्य परीक्षण से गुजर रही थीं, तो उनके खून में एक असामान्य एंटीबॉडी पाया गया। संसाधनों की कमी के कारण उस समय आगे की जांच नहीं हो सकी। बाद में 2019 में उच्च दक्षता वाली डीएनए सीक्वेंसिंग तकनीक के जरिये पता चला कि यह एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन (mutation) है।
फ्रेंच ब्लड एस्टैब्लिशमेंट (EFS) के थिएरी पेयरार्ड के अनुसार, यह महिला यह रक्त समूह अपने माता-पिता दोनों से प्राप्त जीन के कारण रखती हैं।
इस खोज को जून 2025 में मिलान (Milan) में आयोजित कार्यक्रम में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ISBT) द्वारा मान्यता दी गई।
नाम “Gwada Negative” क्यों रखा गया?
इस रक्त समूह का नाम “Gwada Negative” इसलिए रखा गया क्योंकि महिला की उत्पत्ति ग्वाडेलूप से है, जिसे संक्षेप में “Gwada” कहा जाता है। यह नाम हर भाषा में उच्चारण में आसान और वैज्ञानिक रूप से उपयुक्त माना गया।
चिकित्सकीय महत्व
इस खोज के पीछे महज उत्सुकता नहीं, बल्कि इसके गहरे चिकित्सकीय लाभ हैं:
- सटीक रक्त संक्रमण (precise transfusion) की संभावना बढ़ती है।
- दुर्लभ रक्त प्रकार के रोगियों की पहचान संभव होती है।
- नवीन डीएनए तकनीक के उपयोग से शोध और उपचार में प्रगति होती है।
ग्वाडेलूप (Guadeloupe) के बारे में – परीक्षाओं के लिए तथ्य
- स्थिति: कैरिबियन सागर में स्थित फ्रांस का विदेशी क्षेत्र
- राजधानी: Basse-Terre
- मुद्रा: यूरो (€)
- सरकारी भाषा: फ्रेंच
- राजनीतिक स्थिति: फ्रांस और यूरोपीय संघ का भाग
- खास बात: ग्वाडेलूप के नागरिक, फ्रांसीसी नागरिक होते हैं
- परीक्षा उपयोगिता: अंतरराष्ट्रीय भूगोल, विदेशी क्षेत्र और फ्रांसीसी प्रशासनिक ढांचे से संबंधित प्रश्नों में संभावित
ISBT – International Society of Blood Transfusion के बारे में
- स्थापना: 1935
- मुख्यालय: एम्स्टर्डम, नीदरलैंड
- कार्य: विश्वभर में रक्त समूह प्रणाली की मान्यता और वर्गीकरण
- मान्यता प्राप्त रक्त समूह प्रणाली (2025 तक): 48
- भूमिका: रक्त संक्रमण की सुरक्षा और अनुसंधान को वैश्विक रूप से बढ़ावा देना
MCQs – संभावित परीक्षा प्रश्न
Q1. हाल ही में किस देश में “Gwada Negative” नामक दुनिया का 48वां रक्त समूह खोजा गया?
A. अमेरिका
B. भारत
C. फ्रांस
D. ब्राजील
उत्तर: C. फ्रांस
Q2. “Gwada Negative” रक्त समूह का नाम किस स्थान से प्रेरित है?
A. गुयाना
B. ग्वाडेलूप
C. मार्टीनिक
D. हैती
उत्तर: B. ग्वाडेलूप
Q3. जून 2025 में 48वीं रक्त समूह प्रणाली को किस संस्था ने मान्यता दी?
A. WHO
B. ICMR
C. ISBT
D. रेड क्रॉस
उत्तर: C. ISBT
Q4. इस नई रक्त प्रणाली की खोज में किस तकनीक का प्रयोग हुआ?
A. RNA सीक्वेंसिंग
B. PCR परीक्षण
C. हाई-थ्रूपुट डीएनए सीक्वेंसिंग
D. एक्स-रे विवर्तन
उत्तर: C. हाई-थ्रूपुट डीएनए सीक्वेंसिंग
Q5. फ्रांस की किस संस्था ने यह रक्त समूह खोजा?
A. पास्तेर संस्थान
B. ब्लड ट्रांसफ्यूजन फ्रांस
C. फ्रेंच ब्लड एस्टैब्लिशमेंट (EFS)
D. नेशनल हेल्थ इंस्टिट्यूट
उत्तर: C. फ्रेंच ब्लड एस्टैब्लिशमेंट (EFS)
UPSC शैली के FAQs और उत्तर
Q1. “Gwada Negative” जैसे नए रक्त समूह की खोज सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा के संदर्भ में क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
नए रक्त समूह की खोज से दुर्लभ एंटीजन प्रोफाइल वाले मरीजों के लिए सुरक्षित और सटीक रक्त संक्रमण सुनिश्चित किया जा सकता है। यह वैश्विक रक्त बैंकिंग प्रणाली को उन्नत बनाता है और आपात स्थितियों में जीवनरक्षक साबित हो सकता है। साथ ही, यह आनुवंशिक शोध को बढ़ावा देता है और नीतिगत स्तर पर रक्त सुरक्षा रणनीति को मजबूत करता है।
Q2. इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ISBT) की भूमिका क्या है?
उत्तर:
ISBT रक्त समूह प्रणाली को मान्यता देने और वर्गीकृत करने वाली वैश्विक संस्था है। यह अनुसंधान, ज्ञान-विनिमय, और रक्त संक्रमण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए मानक निर्धारित करती है। ISBT की मान्यता से वैज्ञानिक खोजों को वैश्विक स्तर पर स्वीकृति मिलती है और मरीजों को बेहतर देखभाल मिलती है।
Q3. हाई-थ्रूपुट डीएनए सीक्वेंसिंग आधुनिक चिकित्सा में कैसे क्रांति ला रही है?
उत्तर:
यह तकनीक पूरी जीनोम को तेजी से और सटीक तरीके से विश्लेषण करने में सक्षम बनाती है। इससे दुर्लभ रक्त समूह, आनुवंशिक बीमारियाँ, और व्यक्तिगत उपचार विधियाँ विकसित करना संभव हो जाता है। यह तकनीक कैंसर अनुसंधान, आनुवंशिक रोगों की पहचान, और प्रिसिजन मेडिसिन जैसे क्षेत्रों में व्यापक उपयोग में लाई जा रही है।
Q4. ऐसे दुर्लभ रक्त समूहों की खोज का राष्ट्रीय रक्त बैंकिंग प्रणाली पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
इससे यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय रक्त बैंकों को दुर्लभ रक्त समूहों की सूची बनानी चाहिए, विशेष भंडारण विधियों को अपनाना चाहिए, और वैश्विक सहयोग से काम करना चाहिए। यह खोज दिखाती है कि आधुनिक तकनीक के साथ प्रशिक्षित मानव संसाधन और रणनीतिक योजना आवश्यक है ताकि आपातकालीन स्थिति में मरीज को समय पर संगत रक्त मिल सके।