SSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • भारत 2025 के ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) में 71वें स्थान पर पहुंच गया है।
  • 2024 में भारत की रैंकिंग 63 थी, यानी भारत 8 स्थान नीचे खिसका है।
  • यह सूचकांक 118 देशों को ऊर्जा प्रणाली प्रदर्शन और संक्रमण तत्परता के आधार पर रैंक करता है।
  • भारत का कुल ETI स्कोर: 53.3; सिस्टम परफॉर्मेंस: 60.4; ट्रांजिशन रेडीनेस: 42.7।
  • स्वीडन शीर्ष स्थान पर है, उसके बाद फिनलैंड, डेनमार्क और नॉर्वे।
  • “इमर्जिंग एशिया” श्रेणी में चीन सबसे ऊपर है।
  • रिपोर्ट में भारत की ऊर्जा दक्षता, नियमों और निवेश में सुधार की सराहना की गई।
  • भारत के लिए चुनौतियां: ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की पहुंच, ग्रिड की विश्वसनीयता, और ऊर्जा के आयात पर निर्भरता।

संपूर्ण विवरण

ऊर्जा संक्रमण सूचकांक क्या है?

ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (Energy Transition Index – ETI) एक वार्षिक रिपोर्ट है जिसे विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum – WEF) प्रकाशित करता है। यह सूचकांक यह मूल्यांकन करता है कि विभिन्न देश पारंपरिक जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर कितनी प्रगति कर रहे हैं। यह दो मुख्य पहलुओं पर आधारित होता है:

  1. सिस्टम परफॉर्मेंस (System Performance)
  2. ट्रांजिशन रेडीनेस (Transition Readiness)

इनमें कुल 43 संकेतकों (indicators) को शामिल किया जाता है और स्कोर 0 से 100 तक दिया जाता है।


भारत की 2025 में रैंकिंग और प्रदर्शन

भारत 2024 में 63वें स्थान पर था, जो कि 2025 में 71वें स्थान पर पहुंच गया है।
भारत के स्कोर:

  • कुल स्कोर (Overall ETI Score): 53.3
  • सिस्टम परफॉर्मेंस स्कोर: 60.4
  • ट्रांजिशन रेडीनेस स्कोर: 42.7

रिपोर्ट के अनुसार भारत ने निम्नलिखित क्षेत्रों में सुधार किया:

  • ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency)
  • मीथेन उत्सर्जन में कमी (Methane Emission Control)
  • ऊर्जा संबंधी नियम और निवेश (Regulatory and Financial Investment)

ETI 2025 में शीर्ष देश

  1. स्वीडन – रैंक 1 (स्कोर: 77.5)
  2. फिनलैंड
  3. डेनमार्क
  4. नॉर्वे

इन देशों की ऊर्जा प्रणाली स्थिर, टिकाऊ और सबके लिए सुलभ मानी जाती है।


भारत के सामने ऊर्जा संक्रमण की चुनौतियाँ

  • स्थिर और विश्वसनीय ग्रहण प्रणाली (Grid Reliability) में सुधार
  • ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की पहुंच में वृद्धि
  • आयातित ऊर्जा पर निर्भरता को कम करना
  • नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बुनियादी ढांचा और कुशल कार्यबल का विकास

भारत की अब तक की उपलब्धियां

विश्व आर्थिक मंच ने माना कि भारत ने पिछले दशक में:

  • ऊर्जा की पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि की
  • स्वच्छ ईंधन और प्रौद्योगिकी में निवेश किया
  • ऊर्जा नियमों में सुधार किया

हालांकि, ट्रांजिशन रेडीनेस में भारत अभी भी वैश्विक नेताओं से पीछे है।


महत्वपूर्ण संगठन: विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum – WEF)

  • स्थापना: 1971
  • मुख्यालय: कोलॉनी, स्विट्जरलैंड
  • संस्थापक: क्लाउस श्वाब
  • उद्देश्य: वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक एजेंडा तय करने हेतु सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देना
  • प्रमुख रिपोर्टें: ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस रिपोर्ट, ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट, ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs)

Q1. भारत की 2025 में विश्व आर्थिक मंच की ऊर्जा संक्रमण सूचकांक में रैंक क्या है?
A. 63
B. 71
C. 65
D. 59
उत्तर: B. 71

Q2. ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2025 में शीर्ष स्थान किस देश को मिला?
A. नॉर्वे
B. डेनमार्क
C. स्वीडन
D. फिनलैंड
उत्तर: C. स्वीडन

Q3. भारत का सिस्टम परफॉर्मेंस स्कोर ETI 2025 में क्या है?
A. 42.7
B. 53.3
C. 60.4
D. 77.5
उत्तर: C. 60.4

Q4. ऊर्जा संक्रमण सूचकांक कौन जारी करता है?
A. UNDP
B. विश्व आर्थिक मंच
C. विश्व बैंक
D. IEA
उत्तर: B. विश्व आर्थिक मंच

Q5. ETI 2025 के अनुसार भारत की प्रमुख चुनौती क्या है?
A. कोयले का अधिक उत्पादन
B. तेल रिफाइनरियों की कमी
C. ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की पहुंच
D. जलविद्युत का अधिक उपयोग
उत्तर: C. ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की पहुंच


UPSC-शैली FAQs (उत्तर लेखन प्रारूप में)

Q1. भारत की ETI 2025 रैंकिंग में गिरावट के क्या कारण हैं?

उत्तर:
भारत की रैंकिंग 63 से गिरकर 71 पर आने का प्रमुख कारण अन्य देशों की तेज़ी से प्रगति है। भारत ने ऊर्जा दक्षता, मीथेन उत्सर्जन नियंत्रण और वित्तीय निवेश में सुधार किया है, परंतु यह प्रगति वैश्विक औसत की तुलना में धीमी रही। ट्रांजिशन रेडीनेस में भारत अभी भी पीछे है, खासकर बुनियादी ढांचे, ग्रामीण ऊर्जा पहुंच, और निवेश क्षमता के क्षेत्र में। भविष्य में बेहतर प्रदर्शन के लिए भारत को स्थायी ऊर्जा में निवेश और नीति सुधार को प्राथमिकता देनी होगी।


Q2. भारत के लिए ऊर्जा संक्रमण सूचकांक की क्या प्रासंगिकता है?

उत्तर:
ETI भारत के ऊर्जा सुधारों का वैश्विक मानक है। यह यह निर्धारित करने में मदद करता है कि भारत ऊर्जा की सतत, सुलभ और सुरक्षित आपूर्ति के लिए क्या कदम उठा रहा है। यह नीति निर्माताओं को बताता है कि किस क्षेत्र में अधिक निवेश और सुधार की आवश्यकता है, जैसे कि ग्रिड विश्वसनीयता, नवीकरणीय ऊर्जा का प्रसार, और वित्तीय ढांचा। यह भारत के जलवायु लक्ष्य और सतत विकास लक्ष्य (SDGs) के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।


Q3. वैश्विक स्तर पर भारत जैसे बड़े देशों के ऊर्जा संक्रमण के क्या प्रभाव हैं?

उत्तर:
भारत जैसे बड़े देशों के ऊर्जा संक्रमण का वैश्विक पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि भारत सफलतापूर्वक नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ता है, तो यह वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहायक होगा। इसके विपरीत, धीमी प्रगति से पेरिस समझौते जैसे वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन हो जाएगा। अतः भारत की ऊर्जा नीति न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।