
SSC, UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- योजना का नाम: कुसुम-सी (किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान – घटक सी)
- शुभारंभ: मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (कर्नाटक)
- शुभारंभ वर्ष: 2025
- लक्ष्य: किसानों को 7 घंटे दिन में बिजली आपूर्ति (सौर ऊर्जा के माध्यम से)
- सौर ऊर्जा लक्ष्य: 389 उपकेन्द्रों का सौरकरण, 2,396 मेगावाट क्षमता
- लाभार्थी: 1,555 कृषि फीडर, 6.32 लाख पंपसेट
- सब्सिडी: पंपसेट्स के लिए ₹19,000 करोड़; सौर ऊर्जा संयंत्र पर 80% सब्सिडी (50% राज्य + 30% केंद्र)
- बिजली उत्पादन लक्ष्य: 2030 तक 60,000 मेगावाट
- स्मार्ट मीटर: सरकारी दफ्तरों में प्रीपेड मीटर (₹900 प्रति मीटर पर सब्सिडी)
- पर्यावरण लक्ष्य: विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना, जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाना
कुसुम-सी योजना का विस्तृत विवरण
परिचय
कर्नाटक सरकार की कुसुम-सी योजना किसानों को सस्ती, भरोसेमंद और साफ दिन की बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इसका मुख्य फोकस सौर ऊर्जा पर है ताकि पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता कम की जा सके और किसानों की उत्पादकता बढ़े।
योजना के उद्देश्य
इस योजना के तहत किसानों को 7 घंटे दिन में बिजली उपलब्ध कराई जाएगी, जो स्थानीय उपकेन्द्रों पर सौर ऊर्जा उत्पादन से पूरी की जाएगी। यह ट्रांसमिशन लॉस कम करेगा और बिजली की विश्वसनीयता बढ़ाएगा।
सौरकरण की मुख्य बातें
- कर्नाटक में 389 उपकेन्द्रों का सौरकरण किया जाएगा।
- कुल क्षमता: 2,396 मेगावाट
- 1,555 कृषि फीडरों के माध्यम से 6.32 लाख पंपसेट्स को बिजली दी जाएगी।
सब्सिडी संरचना
- कृषि पंपसेट्स के लिए सरकार की तरफ से ₹19,000 करोड़ की सब्सिडी।
- किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए 80% सब्सिडी (50% राज्य सरकार + 30% केंद्र सरकार) दी जाएगी।
बिजली उत्पादन योजना
- वर्तमान क्षमता: 35,000 मेगावाट
- वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अतिरिक्त 4,000 मेगावाट उत्पादन बढ़ाया गया।
- लक्ष्य: 2030 तक 60,000 मेगावाट।
स्मार्ट मीटर और ऊर्जा प्रबंधन
- प्रीपेड स्मार्ट मीटर सरकारी दफ्तरों में लगाए जाएंगे।
- केंद्र की तरफ से 60% सब्सिडी, ₹900 प्रति स्मार्ट मीटर अनुदान।
पर्यावरणीय एवं आर्थिक प्रभाव
- विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाएगा।
- स्थानीय उत्पादन से बिजली आपूर्ति भरोसेमंद होगी और पर्यावरणीय नुकसान कम होगा।
- पवगड़ा जैसे क्षेत्रों में पहले से सौर परियोजनाएं कार्यरत हैं और विस्तार की योजना है।
किसानों और समुदाय की प्रतिक्रिया
किसानों ने इस पहल का स्वागत किया है। सरकार की गृह ज्योति योजना (1.64 लाख परिवारों को मुफ्त बिजली) के तहत किए प्रयास ग्रामीण इलाकों में विद्युतीकरण को मजबूत कर रहे हैं।
कर्नाटक के बारे में परीक्षाओं के लिए तथ्य
- राजधानी: बेंगलुरु
- मुख्यमंत्री: सिद्धारमैया
- राज्यपाल: थावरचंद गहलोत
- प्रमुख नदियाँ: कृष्णा, कावेरी, तुंगभद्रा
- महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यान: बांदीपुर, नागरहोल, बन्नेरघट्टा, कुद्रेमुख
- महत्वपूर्ण सौर परियोजना: पवगड़ा सोलर पार्क
परीक्षा-शैली MCQ
1. कुसुम-सी योजना के तहत किसानों को कितने घंटे दिन में बिजली देने का लक्ष्य है?
A) 5 घंटे
B) 7 घंटे
C) 10 घंटे
D) 12 घंटे
उत्तर: B) 7 घंटे
2. कर्नाटक में कृषि उपकेन्द्रों के सौरकरण से कितनी मेगावाट क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है?
A) 1,000 मेगावाट
B) 2,396 मेगावाट
C) 5,000 मेगावाट
D) 10,000 मेगावाट
उत्तर: B) 2,396 मेगावाट
3. कुसुम-सी योजना के तहत पंपसेट्स पर कितनी सब्सिडी राशि दी जा रही है?
A) ₹10,000 करोड़
B) ₹15,000 करोड़
C) ₹19,000 करोड़
D) ₹25,000 करोड़
उत्तर: C) ₹19,000 करोड़
4. 2030 तक कर्नाटक का कुल बिजली उत्पादन लक्ष्य क्या है?
A) 50,000 मेगावाट
B) 60,000 मेगावाट
C) 70,000 मेगावाट
D) 80,000 मेगावाट
उत्तर: B) 60,000 मेगावाट
UPSC-शैली के प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1. कर्नाटक में सतत कृषि के संदर्भ में कुसुम-सी योजना का महत्व स्पष्ट करें।
उत्तर:
कुसुम-सी योजना कर्नाटक में सतत कृषि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह 389 उपकेन्द्रों के सौरकरण के माध्यम से किसानों को 7 घंटे की दिन की बिजली सुनिश्चित करती है। इससे उत्पादकता बढ़ती है और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होती है। योजना से ट्रांसमिशन लॉस घटता है और विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा के कारण जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होती है। 80% सब्सिडी से किसानों के लिए सौर ऊर्जा सस्ती हो जाती है। यह पहल राज्य के 2030 तक 60,000 मेगावाट उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने में भी मददगार है।
प्रश्न 2. कुसुम-सी योजना के तहत विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन के पर्यावरणीय लाभों का मूल्यांकन करें।
उत्तर:
कुसुम-सी योजना के तहत विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन से कई पर्यावरणीय लाभ मिलते हैं। इससे ट्रांसमिशन लॉस कम होता है और कार्बन फुटप्रिंट घटता है। पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों की जगह स्थानीय रूप से सौर ऊर्जा उत्पादन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होता है। पवगड़ा जैसे क्षेत्रों में सौर परियोजनाएं शुष्क भूमि का सही उपयोग करती हैं। यह पहल भारत के जलवायु लक्ष्यों और सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप है, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जहां ग्रिड विस्तार चुनौतीपूर्ण है।
प्रश्न 3. कुसुम-सी योजना की सब्सिडी संरचना किसानों के लिए सौर ऊर्जा को कैसे किफायती बनाती है?
उत्तर:
कुसुम-सी योजना की सब्सिडी संरचना किसानों के लिए सौर ऊर्जा को किफायती बनाती है क्योंकि इसमें 80% सब्सिडी दी जाती है, जिसमें 50% राज्य सरकार और 30% केंद्र सरकार का हिस्सा होता है। इससे किसानों की लागत काफी घट जाती है और उन्हें सौर संयंत्र लगाने में वित्तीय मदद मिलती है। इसके अलावा, कृषि पंपसेट्स के लिए ₹19,000 करोड़ की सब्सिडी किसानों को आधुनिक उपकरणों की खरीद में सहायता देती है। ये उपाय किसानों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।