
SSC, UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- विश्व सिकल सेल दिवस हर साल 19 जून को मनाया जाता है।
- इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2008 में घोषित किया गया था।
- 2025 का विषय (Theme): “वैश्विक कार्यवाही, स्थानीय प्रभाव: प्रभावी आत्म-अधिकारिता के लिए समुदायों को सशक्त बनाना”
- भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सिकल सेल रोग बोझ है।
- यह मुख्य रूप से अनुसूचित जनजातियों और वनवासी समुदायों को प्रभावित करता है।
- सिकल सेल ट्रेट एक वांशिक लक्षण है, रोग नहीं है।
- शुरुआती निदान के लिए रक्त जांच (CBC, MCV, HPLC आदि) आवश्यक है।
- सिकल सेल जीन की उत्पत्ति अफ्रीका में मलेरिया से लड़ने के लिए हुई थी।
विश्व सिकल सेल दिवस 2025 – थीम, इतिहास, महत्व और भारत की चुनौतियाँ
19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस क्यों मनाया जाता है
विश्व सिकल सेल दिवस एक वैश्विक जागरूकता दिवस है, जिसे हर साल 19 जून को मनाया जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 22 दिसंबर 2008 को मान्यता दी गई थी, ताकि दुनिया भर में सिकल सेल रोग के प्रभाव को उजागर किया जा सके — जो कि एक वांशिक रक्त विकार है और हर साल 3 लाख से अधिक नवजात शिशुओं को प्रभावित करता है।
इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है लोगों को जल्दी पहचान, चिकित्सा देखभाल, और सामुदायिक सहयोग के बारे में जागरूक करना।
विश्व सिकल सेल दिवस 2025 की थीम
थीम: “वैश्विक कार्यवाही, स्थानीय प्रभाव: प्रभावी आत्म-अधिकारिता के लिए समुदायों को सशक्त बनाना”
इस साल की थीम स्थानीय स्तर पर कार्रवाई को बढ़ावा देती है और वैश्विक प्रयासों से जोड़ती है। यह जनजातीय और पिछड़े इलाकों में समुदायों को सशक्त बनाने की अपील करती है, ताकि वे बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सहायता के लिए आवाज़ उठा सकें।
सिकल सेल रोग का इतिहास
आनुवंशिक उत्पत्ति और अफ्रीकी जड़ें
सिकल सेल जीन की उत्पत्ति हजारों साल पहले अफ्रीका में मानी जाती है, जो मलेरिया से सुरक्षा के लिए एक प्राकृतिक अनुकूलन था। आधुनिक चिकित्सा से पहले, अफ्रीकी जनजातियों में इस रोग को विभिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता था।
UN की मान्यता
2008 में, संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पारित कर सिकल सेल रोग को एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में मान्यता दी। इसी प्रस्ताव के तहत हर साल 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत में सिकल सेल रोग की स्थिति
भारत में सिकल सेल रोग का दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक बोझ है, जो विशेष रूप से अनुसूचित जनजातियों और वनवासी समुदायों को प्रभावित करता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, भौगोलिक दूरी, और सामाजिक असमानता के कारण बहुत से रोगी निदान और उपचार से वंचित रह जाते हैं। इस संकट से निपटने के लिए समानता आधारित नीतियों और स्थानीय स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
सिकल सेल ट्रेट – क्या जानना ज़रूरी है
वंशानुगत प्रकृति
- अगर माता या पिता में से किसी एक को जीन है → बच्चा केवल ट्रेट का वाहक होगा (रोग नहीं)।
- अगर दोनों माता-पिता वाहक हैं → बच्चे में 25% संभावना कि उसे सिकल सेल रोग होगा।
आँकड़े:
- एक अभिभावक वाहक → 50% संभावना कि बच्चा ट्रेट वाला होगा।
- दोनों अभिभावक वाहक → 25% रोग, 50% ट्रेट, 25% स्वस्थ।
सिकल सेल ट्रेट की पहचान के लिए रक्त जांच
आवश्यक जांचें:
- Complete Blood Count (CBC): एनीमिया की जांच करता है।
- Mean Corpuscular Volume (MCV): असामान्य हीमोग्लोबिन का संकेत देता है।
- Hemoglobin Electrophoresis / HPLC / DNA टेस्ट: रक्त में हीमोग्लोबिन का प्रकार बताता है।
नवजात शिशुओं की जांच 24–48 घंटे के भीतर कर लेनी चाहिए। अगर बचपन में न हो पाए तो प्रौढ़ावस्था में विवाह या गर्भधारण से पहले कराना ज़रूरी है।
संयुक्त राष्ट्र (UN) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
- स्थापना: 1945
- मुख्यालय: न्यूयॉर्क, अमेरिका
- महासचिव (2025): एंटोनियो गुटेरेस
- उद्देश्य: शांति, सुरक्षा, मानव अधिकार, और सहयोग
- संबद्ध संगठन: WHO, UNICEF, UNDP
MCQs (SSC, UPSC और अन्य परीक्षाओं के लिए)
Q1. विश्व सिकल सेल दिवस 2025 की थीम क्या है?
A. प्रगति के माध्यम से आशा
B. वैश्विक कार्यवाही, स्थानीय प्रभाव
C. सिकल सेल पर प्रकाश डालना
D. वैश्विक समुदाय बनाना
उत्तर: B
Q2. संयुक्त राष्ट्र ने विश्व सिकल सेल दिवस को कब मान्यता दी थी?
A. 2010
B. 2005
C. 2008
D. 2015
उत्तर: C
Q3. भारत में सिकल सेल रोग सबसे अधिक किस समुदाय में पाया जाता है?
A. शहरी युवा
B. जनजातीय समुदाय
C. कार्यालय कर्मचारी
D. उत्तर भारत के किसान
उत्तर: B
Q4. रक्त परीक्षण CBC का पूर्ण रूप क्या है?
A. सेंट्रल ब्लड सेल
B. कंप्लीट ब्लड काउंट
C. सेल्यूलर ब्लड चेक
D. कंप्रिहेंसिव बायोकेमिकल काउंट
उत्तर: B
Q5. किस संगठन ने सिकल सेल को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या घोषित किया?
A. WHO
B. UN
C. BRICS
D. NATO
उत्तर: B
H1: UPSC आधारित FAQs (उत्तर लेखन प्रारूप में)
Q1. भारत में सिकल सेल रोग को सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती क्यों माना जाता है?
उत्तर:
भारत में सिकल सेल रोग एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है क्योंकि यह विशेष रूप से अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों में अधिक पाया जाता है। स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता, ज्ञान की कमी, और भूगोलिक दूरी जैसे कारणों से यह रोग अक्सर पहचाना नहीं जाता और समय पर उपचार नहीं मिलता। जनजागरूकता, नवजात जांच, और सामुदायिक सहभागिता से ही इस समस्या का समाधान संभव है।
Q2. विश्व सिकल सेल दिवस को घोषित करने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका क्या रही?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र ने 22 दिसंबर 2008 को एक प्रस्ताव पारित कर सिकल सेल रोग को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में मान्यता दी। इस पहल का उद्देश्य है राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाना, शुरुआती निदान को बढ़ावा देना, और गंभीर स्वास्थ्य असमानताओं को उजागर करना। इससे चिकित्सा अनुसंधान और वैश्विक सहयोग में भी वृद्धि हुई है।
Q3. सिकल सेल रोग की रोकथाम में आनुवांशिक परामर्श की भूमिका समझाएं।
उत्तर:
आनुवांशिक परामर्श सिकल सेल रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभाता है। CBC, HPLC जैसी जांचों से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति ट्रेट का वाहक है या नहीं। यदि दोनों अभिभावक वाहक हों, तो 25% संभावना होती है कि संतान सिकल सेल रोग से ग्रसित होगी। इस जानकारी के आधार पर लोग संतान योजना में निर्णय ले सकते हैं, जिससे रोग की अगली पीढ़ियों में प्रसार रोका जा सकता है।
Q4. भारत की जनजातीय स्वास्थ्य नीतियों में सिकल सेल रोग से निपटने के लिए क्या बदलाव किए जाने चाहिए?
उत्तर:
भारत की जनजातीय स्वास्थ्य नीतियों में समानता-आधारित बदलाव करने की आवश्यकता है, जैसे कि:
- नवजात जांच को अनिवार्य बनाना।
- दूर-दराज के क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त करना।
- मुफ्त जांच व उपचार की सुविधा देना।
- स्थानीय भाषाओं में जागरूकता अभियान चलाना।
- नीति निर्माण में जनजातीय प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
इन बदलावों से जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल रोग की पहचान, उपचार और रोकथाम में सुधार हो सकता है।